कुंडली के एकादश भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के एकादश भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1) कुंडली के एकादश भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और एकादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करना चाहेंगे।

2)चतुर्थ भाव सुख का कारक भाव है। एकादश भाव इच्छाओं का कारक भाव है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो, तब जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुख सुविधा प्राप्त होती है। लेकिन जातक की इच्छाएं अनंत होती हैं। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में उत्तम स्थिति में ना हो तब, जातक अपनी इच्छा पूर्ति को लेकर असंतुष्ट नजर आता है और उसकी इच्छा पूर्ति न होने के कारण फ्रस्ट्रेशन का भी शिकार हो सकता है।

3) चतुर्थ भाव माता का कारक भाव होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो, जो कि चतुर्थ भाव से अष्टम भाव भी है, तब जातक की माता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक की माता जातक के बड़े भाई से ज्यादा स्नेह रख सकती है। जातक की माता भाग्यशाली होगी और जातक की माता को सभी प्रकार के सुख सुविधा प्राप्त होंगे।

4)चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो तब जातक अपनी शिक्षा को मन लगाकर पूर्ण नहीं करेगा। क्योंकि जातक पढ़ाई से ज्यादा कमाई की ओर ध्यान देने वाला होगा। जातक अपनी शिक्षा में व्यवधान पा सकता है। जातक के पैसों के तरफ अत्यधिक झुकाव के कारण जातक अपनी पढ़ाई में कम ध्यान लगा सकता है।

5)चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में हो तब जातक दुर्घटना का सामना कर सकता है।

6)चतुर्थ भाव प्रॉपर्टी और वाहन से संबंधित होता है और एकादश भाव लाभ से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो तब जातक संपत्ति और वाहन से लाभ अर्जित कर सकता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में पीड़ित हो और बुरे ग्रहों के प्रभाव में हो तब, जातक अपनी संपत्ति की हानि का भी सामना कर सकता है। जातक को अपने वाहन से दुर्घटना इत्यादि का भी सामना करना पड़ सकता है।

7) एकादश भाव हमारे स्वास्थ्य पर बहुत ही गहरा प्रभाव होता है, क्योंकि एकादश भाव द्वादश भाव से द्वादश है। अर्थात एकादश भाव रोगों से मुक्ति का भी कारक भाव है। साथ ही एकादश भाव छठे से छठा भाव भी है यानी रोगों के लिए शत्रु, साथ ही छठे का छठा भाव यानी भावत भावम भाव होने के कारण रोग कारक भी हो जाता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में उत्तम स्थिति में ना हो तब जातक रोगों से पीड़ित हो सकता है। चतुर्थ भाव मन का कारक होता है, अतः जातक मन से संबंधित या मानसिक परेशानियों से गुजर सकता है। चतुर्थ भाव फेफड़े का कारक भाव होता है, अतः फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की भी संभावना होती है। मानसिक बीमारी की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि एकादश भाव इच्छा पूर्ति का भाव है और सामान्यतः इच्छा पूर्ति न होने के कारण जातक अवसाद जैसी मासिक परिस्थितियों का सामना कर सकता है।

8)चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो तब जातक कामुक प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक के बहुत सारे छिपी हुई इच्छा है या अतृप्त इच्छाएं हो सकती है। जातक के प्रेम प्रसंग हो सकते है या जातक के अफेयर हो सकते हैं।

9) यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो तो जातक दयालु और मित्रता पूर्ण व्यवहार रखने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक को मित्र बनाना पसंद होगा और जातक की अच्छी खासी फ्रेंड सर्किल हो सकती है।

10) यदि चतुर्थ भाव का स्वामी एकादश भाव के स्वामी के साथ एकादश भाव में स्थित हो तब यह एक उत्तम धन योग का निर्माण करता है। जातक की सारी इच्छाएं पूर्ण होंगी। जातक उत्तम लाभ अर्जित करेगा। जातक संपत्ति भी अर्जित करेगा और संपत्ति से भी अच्छी खासी इनकम प्राप्त करेगा। जातक व्यापार कर सकता है और व्यापार में लाभ अर्जित करेगा। जातक को वाहन का, नौकर चाकर का और दूसरे सुख-सुविधा के साधन प्राप्त होंगे।

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