कुंडली के चतुर्थ भाव में सप्तमेश का प्रभाव

कुंडली के चतुर्थ भाव में सप्तमेश का प्रभाव

1)कुंडली के चतुर्थ भाव में सप्तमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। सप्तम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से दशम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का दशम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) सप्तम भाव चतुर्थ भाव का भावत भावम भाव है और सप्तम भाव चतुर्थ भाव में स्थित है, अतः चतुर्थ भाव को नैसर्गिक बल की प्राप्ति होती है। सप्तम भाव स्वयं के भाव से दशम स्थान में स्थित है, अतः सप्तम भाव को भी नैसर्गिक बल प्राप्त होता है।

3) सप्तम भाव पत्नी से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक की पत्नी स्वतंत्र विचारों वाली और जातक के वश में नहीं रहने वाली औरत होती है। यदि सप्तम भाव का स्वामी किसी बुरे प्रभाव में हो तब जातक की पत्नी जातक का आदर नहीं करती है। जातक की पत्नी कामकाजी महिला हो सकती है। जातक अपनी पत्नी का धन का आनंद उठाएगा। जातक विवाह के उपरांत अच्छी सफलता प्राप्त करेगा।

4) चतुर्थ भाव मातृभूमि से संबंधित होता है। सप्तम भाव विदेशी भूमि से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक विदेश यात्रा के लिए जा सकता है। जातक अपने व्यापार या स्टडी के लिए विदेश जा सकता है।

5)चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक उत्तम शिक्षा प्राप्त करता है। जातक बुद्धिमान व्यक्ति होता है। चतुर्थ भाव सुख से संबंधित होता है, सप्तम भाव पत्नी से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव मे स्थित हो तब जातक को अपनी पत्नी का सुख प्राप्त होता है। चतुर्थ भाव का संपत्ति और वाहन का कारक भाव होता है, अतः सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव मे स्थित हो तब जातक को वाहन और संपत्ति भी सुख प्राप्त होता है।

6)यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक उत्तम स्वभाव का व्यक्ति होता है जातक ईमानदार और धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है।

7) सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो और बुरे प्रभाव में हो तब जातक का वैवाहिक जीवन भी उत्तम नहीं होता है।

8) चतुर्थ भाव माता का कारक भाव होता है। सप्तम भाव मारक‌ भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में बुरे प्रभाव में हो तब जातक के माता के लिए यह शुभ नहीं माना जाता है। जातक का अपनी माता के साथ विवाद होने की संभावना होती है। जातक के माता को स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो सकती है। यदि सप्तम भाव का स्वामी और शुक्र बुरे प्रभाव हो तब जातक को वाहन से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

9) यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक धनी और समृद्ध परिवार से संबंधित होता है। जातक अपनी माता से भी संपत्ति प्राप्त करता है। जातक अपने पुत्र के कारण भी प्रसिद्धि प्राप्त करता है। परंतु जातक और पिता के मध्य अलगाव की स्थिति हो सकती है।

10) सप्तम भाव काम त्रिकोण से संबंधित होता है, चतुर्थ भाव मन से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी तामसिक ग्रहों के प्रभाव में हो तब जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है और जातक विपरीत लिंग के प्रति अत्यधिक आकर्षित हो सकता है।

11) यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है। जातक विदेशी भूमि की यात्रा करता है या जन्म स्थान से दूर निवास कर सकता है। जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुख सुविधा की प्राप्ति होती है। जातक को वाहन का सुख प्राप्त होता है। जातक की पत्नी सुंदर और अच्छे स्वभाव वाली महिला होती है। जातक अपने व्यापार या स्टडी के लिए विदेश जा सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी पीड़ित हो तब जातक की माता को स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो सकती है। जातक वाहन या संपत्ति परेशानी का सामना कर सकता है। जातक की पत्नी का चरित्र संदेह के दायरे में हो सकता है।

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