कुंडली के छठे भाव में द्वितीयेश का प्रभाव
1) कुंडली के छठे भाव में द्वितीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम द्वितीय भाव और छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) छठा भाव दुः स्थान होता है, छठे भाव उपचय भाव भी होता है। द्वितीय भाव छठे भाव से त्रिकोण भाव होता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव मे तब जातक को मिश्रित फल प्राप्त होते हैं। वास्तविक फल छठे भाव के बल पर निर्भर करेगा। यदि छठा भाव में स्थित द्वितीयेश शक्तिशाली हो और बली हो तब यह शुभ फल देने में सक्षम होता है। यदि छठा भाव में स्थित द्वितीयेश निर्बल हो तब अशुभ फल देगा। द्वितीयेश मारकेश भी होता है। अतः छठे भाव में स्थित द्वितीयेश मारक फल देने में भी सक्षम होता है।
3) द्वितीयेश स्वयं के भाव से पंचम स्थान में स्थित है, हम कह सकते हैं कि जातक के पिछले जन्म के पुण्य के कारण जातक लाभ अर्जित करेगा। लेकिन वास्तविकता में द्वितीयेश छठे भाव में स्थित है जो कि एक दुः स्थान है। जातक धन तो अर्जित करेगा लेकिन जातक के धन कमाने का जरिया गलत या अनैतिक हो सकता है। जातक छल, कपट या फ्रॉड से धन कमा सकता है। जातक धन के मामले में किसी भी प्रकार का दया भाव नहीं दिखाएगा यानी जातक लालची प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक दूसरे के धन को हासिल करने की लालसा रखता है।
4) द्वितीय भाव का स्वामी छठे भाव में हो तब जातक को अपने धन का उपयोग करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर जातक को जीवन के अंतिम चरण में अपने धन का सुख नहीं मिलता है।
5) छठा भाव मामा से संबंधित होता है और छठे भाव में धन के भाव का स्वामी स्थित है अतः जातक को अपने मामा से धन की प्राप्ति हो सकती है। जातक सर्विस सेक्टर या सर्विस से धन अर्जित करता है।
6) छठा भाव में स्थित द्वितीयेश के कारण जातक सट्टेबाजी में अपने धन का उपयोग कर सकता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक को सट्टेबाजी से लाभ की प्राप्ति होगी। अन्यथा जातक सट्टेबाजी के कारण अपने धन का नाश करेगा। जातक स्टॉक मार्केट, लॉटरी, गेम्बलिंग और दूसरे इसी प्रकार के कार्यों में एक्टिव रह सकता है।
7) द्वितीयेश छठे भाव में स्थित हो तब जातक को धन प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जातक को अपने शत्रु या अपने कंम्पिटीटर से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव में बली हो तब जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। परंतु किसी भी परिस्थिति में शत्रु से परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता है।
8) छठा भाव लीगल मामलों से संबंधित होता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव में स्थित हो तब जातक को धन से संबंधित मामलों में कानूनी पचड़े का सामना करना पड़ सकता है। द्वितीयेश भाव परिवार से भी संबंधित होता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव में हो तब पारिवारिक मामलों में भी लीगल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपने रिश्तेदार या पारिवारिक सदस्यों के कारण नुकसान का सामना कर सकता है।
9) छठा भाव रोग से संबंधित होता है। द्वितीयेश छठे भाव में स्थित हो तब जातक को रोगों के कारण धन के नाश की संभावना बनती है। जातक लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो सकता है, जिसमें जातक के बहुत सारा धन खर्च होने की संभावना बनती है।
10) छठा भाव कर्ज से संबंधित भाव होता है। यदि धन के भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक कर्ज से संबंधित कार्यों के द्वारा अपने धन का जुगाड़ कर सकता है। यदि शुभ स्थिति में हो तब जातक को आसानी से कर्ज की प्राप्ति हो जाती है। जातक कर्ज दे कर भी धन अर्जित कर सकता है। लेकिन यदि शुभ स्थिति में ना हो तब जातक कर्जदार हो सकता है या जातक किसी को भी कर्ज देता हो तब वह जातक को वापस नहीं मिलते होंगे।
11) द्वितीयेश वाणी से संबंधित होता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव में हो तब जातक बारगेनिंग करने में सक्षम होता है। जातक किसी भी मैटर को सेटल करने में उस्ताद हो सकता है। जातक झूठा हो सकता है। जातक फिजूल के तर्क वितर्क में भी माहिर हो सकता है।
12) द्वितीय भाव नेत्र से संबंधित होता है। यदि द्वितीयेश रोग के भाव में हो तब जातक को नेत्र से संबंधित समस्या हो सकती है।
13) द्वितीयेश छठे भाव में हो तब जातक के पिता अनैतिक या गैरकानूनी तरीके से धन अर्जित कर सकते हैं।
14) द्वितीयेश मार्केश होता है। यदि द्वितीयेश छठे भाव में हो तब जातक के संतान को समस्या हो सकती है।
15) यदि द्वितीयेश षष्टेश के साथ छठे भाव में हो तब जातक के मामा धनी व्यक्ति हो सकते हैं। जातक के शत्रु धनवान और समृद्ध व्यक्ति होंगे। जातक चिकित्सा के क्षेत्र से धन कमा सकता है। जातक लीगल मामलों से धन कमा सकता है। जातक सट्टेबाजी से धन कमा सकता है। जातक सर्विस सेक्टर से धन कमा सकता है।