कुंडली के दशम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के दशम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1)कुंडली के दशम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और दशम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से सप्तम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का सप्तम भाव में क्या फल होता है, इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2)चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक अपने शैक्षणिक योग्यता के बदौलत अपने प्रोफेशन में सफलता प्राप्त कर सकता है। जातक ऐसे प्रोफेशन में होगा जो उसके शैक्षणिक योग्यता से संबंधित होगा। जातक शिक्षा से संबंधित प्रोफेशन में भी हो सकता है।

3) चतुर्थ भाव और दशम भाव एक दूसरे से समसप्तक है। अतः चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित होने के कारण जातक अपने प्रोफेशन में एक अच्छी ऊंचाई प्राप्त करेगा। जातक अपने प्रोफेशन में अच्छा नाम और प्रसिद्धि प्राप्त करेगा। लेकिन साथ ही साथ जातक को अपने प्रोफेशन में कई प्रकार की कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ेगा। जातक के बहुत सारे कंपटीटर हो सकते हैं, लेकिन जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करेगा। जातक अपने अपने कैरियर में अच्छी सफलता प्राप्त करेगा। लेकिन अपनी सफलता से वह सुखी नहीं होगा य जातक का प्रोफेशनल जीवन बहुत ज्यादा सुखमय नहीं होगा। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में पीड़ित हो तब जातक को अपने प्रोफेशनल लाइफ में तरह-तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ सकता है।

4) चतुर्थ भाव लोकतंत्र से संबंधित होता है। दशम भाव राज्य सत्ता से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब, जातक राजनीति में सफलता प्राप्त कर सकता है। जातक राजनीति में एक अच्छा पद और पदवी प्राप्त कर सकता है। जातक की राजनीतिक समझ भी बहुत अच्छी होगी।

5) चतुर्थ भाव वाहन से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव संपत्ति से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब, जातक संपत्ति या वाहन से संबंधित प्रोफेशन में कार्य कर सकता है।

6)दशम भाव सामाजिक प्रतिष्ठा से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तो तब जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी होती है। जातक एक अच्छे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में पीड़ित हो तब जातक को उत्तम प्रसिद्धि नहीं प्राप्त होती है।

7) चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में शुभ स्थिति में ना हो तब यह माता के स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। जातक की माता की सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी होती है। जातक और जातक के माता के मध्य उत्तम संबंध नहीं हो सकते हैं। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पीड़ित हो तब जातक की माता गंभीर रोग से पीड़ित हो सकती है।

8) चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक दूसरों के विचारों के प्रभाव में आसानी से नहीं आता है। जातक की माता जातक के जीवन में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है।

9)यदि चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव के स्वामी के साथ दशम भाव में स्थित हो तब यह जातक के प्रोफेशन के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। जातक का राजनीतिक अच्छा कैरियर होता है। जातक में नेतृत्व के गुण होते हैं। जातक मंत्री या मंत्री के समान किसी उच्च पदवी पर हो सकता है। जातक प्रशासन में अच्छी पकड़ रखता है। जातक का सामाजिक प्रतिष्ठा उत्तम होती है। जातक अपने प्रोफेशनल लाइफ में इतनी ऊंचाइयों को छूता है।

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