कुंडली के दशम भाव में तृतीयेश का प्रभाव
1)कुंडली के दशम भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम तृतीय भाव और दशम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में क्या फल होता है, हम उसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे
2) तृतीय भाव और दशम भाव दोनों उपचय हाउस है। एक उपचय भाव के स्वामी का दूसरे उपचय भाव में स्थित होना, दोनों भाव के नैसर्गिक कारक मे वृद्धि करेगा। अतः हम कह सकते हैं कि तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब दशम भाव के नैसर्गिक कारक में वृद्धि होती है।
3)तृतीय भाव खुद की क्षमता से संबंधित होता है। दशम भाव व्यापार से संबंधित होता है। अतः तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो, तब जातक अपनी खुद की क्षमता और कड़ी मेहनत के बदौलत अपने व्यवसाय में या व्यापार में तरक्की प्राप्त करता है। जातक अपने प्रोफेशनल लाइफ में कड़ी मेहनत करेगा। जातक अपना खुद का व्यापार या अपना खुद का काम करने का इच्छुक हो सकता है। जातक अपने व्यवसाय में सफलता अपनी खुद की क्षमता और पावर की बदौलत प्राप्त करता है।
4) तृतीय भाव कम्युनिकेशन से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक किसी कम्युनिकेशन से संबंधित कार्य क्षेत्र में कार्य करता है, जैसे टेलीकम्युनिकेशन, पोस्ट ऑफिस, रेलवे, ट्रांसपोर्ट, कॉल सेंटर इत्यादि।
5) तृतीय भाव शारीरिक क्षमता और स्टेमिना से संबंधित होता है। अतः तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक शारीरिक मेहनत करने में सक्षम होगा। जातक सिंगिंग, डांसिंग, म्यूजिक जैसे क्षेत्रों से धन अर्जित कर सकता है।
6) तृतीय भाव दशम भाव से अष्टम स्थान है। तृतीय भाव का स्वामी, जब दशम भाव में स्थित हो तब जातक की सीक्रेट या गुप्त आय के साधन हो सकते हैं। जातक का अपने व्यापार और बिजनेस को करने का तरीका सीक्रेट हो सकता है।
7) तृतीय भाव यात्रा से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक का प्रोफेशन यात्रा से संबंधित हो सकता है या जातक इस प्रकार के प्रोफेशन में होगा जहां उसे बहुत सारी यात्राएं करनी पड़ सकती है।
8) तृतीय भाव छोटे भाई से संबंधित होता है, यदि तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक के भाई सफल हो सकते हैं। जातक के भाई जातक के प्रोफेशनल लाइफ में सहायता कर सकते हैं।
9) तृतीय भाव काम कोणा से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव मे स्थित हो तो जातक का कामइच्छा मंदा हो सकता है।
10)तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक की पत्नी जातक के प्रति विश्वास ही नहीं होती है। जातक की पत्नी झगड़ालू स्वभाव की हो सकती है।
11) तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में पीड़ित हो, तब जातक अनैतिक कार्यों में या गलत कार्यों में लिप्त हो सकता है।
12) तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव के स्वामी के साथ दशम भाव में स्थित हो तब जातक अपमानजनक परिस्थिति का सामना कर सकता है। जातक अपने जीवन में सफल हो सकता है। जातक के जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता है। जातक का जीवन स्थिर नहीं होता है, यानी जातक के जीवन में तरह तरह की परेशानियां आती रहती हैं। जातक का भाई अनैतिक कार्यो में लिप्त हो सकता है। साथ ही जातक का भाई धनी होगा। यदि तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में दशम भाव के स्वामी के साथ शुभ स्थिति में हो तब जातक अपनी क्षमता के बल पर अपने प्रोफेशनल लाइफ में उत्तम सफलता प्राप्त करता है। जातक राजनीति में सफलता प्राप्त कर सकता है। जातक को अपने शत्रुओं पर अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता के बदौलत विजय प्राप्त कर सकता है।