कुंडली के द्वादश भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1) कुंडली के द्वादश भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम द्वादश भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। जैसा कि हम जानते हैं कि चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से नवम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का नवम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) चतुर्थ भाव और द्वादश भाव दोनों एक दूसरे से नव-पंचम संबंध बनाते हैं। नव पंचम संबंध एक अच्छा संबंध माना जाता है। अतः चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में अच्छा माना जा सकता है। लेकिन द्वादश भाव दुःस्थान भी है, अतः चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में इस हिसाब से अच्छा नहीं माना जाएगा।

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3) चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब यह जातक के माता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या दे सकता है। चतुर्थ भाव का स्वामी, द्वादश भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक के कम उम्र में ही जातक की माता की मृत्यु की संभावना होती है। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं से नवम भाव में स्थित है। अतः जातक की माता धार्मिक महिला होगी। जातक की माता भाग्यशाली महिला होगी।

4)चतुर्थ भाव शिक्षा का कार्यक्रम होता है, चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक शिक्षा प्राप्ति के लिए विदेश जा सकता है। चतुर्थ भाव जातक के घर का भी कारक होता है, अतः जातक विदेश में भी निवास कर सकता है।

5) चतुर्थ भाव सुख का भी कारक भाव होता है। द्वादश भाव निंद्रा का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक को निंद्रा का उत्तम सुख मिलता है। द्वादश भाव से शयन सुख का भी कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में हो तब जातक को उत्तम सुख भी मिलता है।

6)चतुर्थ भाव मन का कारक भाव होता है। द्वादश भाव का व्यय का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक के मन में शांति नहीं रहती है। जातक विचारों के आवागमन से परेशान रहता है। जातक मानसिक तनाव का भी सामना करता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक एक अच्छा दार्शनिक हो सकता है। चतुर्थ भाव और द्वादश भाव दोनों मोक्ष त्रिकोण से संबंधित होते हैं। अतः जातक आध्यात्मिक या धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है।

7)चतुर्थ भाव वाहन का कारक होता है। चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक को वाहन से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपने धन को वाहन के सुख पर व्यय कर सकता है।

8)चतुर्थ भाव संपत्ति का कारक भाव है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब, जातक विदेश में संपत्ति अर्जित कर सकता है। द्वादश भाव एक दुः स्थान भी है, अतः चतुर्थ भाव के स्वामी का द्वादश भाव में फल चतुर्थ भाव के स्वामी के स्थिति पर भी निर्भर करेगा। सामान्यतः हम कह सकते हैं कि चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक को अपने देनदारी से ज्यादा प्रॉपर्टी होता है।

9)चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक के सुख के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। जातक के अपने सुख-सुविधा के साधन के ऊपर बहुत ज्यादा व्यय होगा। लेकिन जातक अपने उपलब्ध सुखों का उपभोग कर पाएगा या नहीं यह संदेहास्पद होगा।

10)चतुर्थ भाव का स्वामी द्वादश भाव के स्वामी के साथ द्वादश भाव में स्थित हो तब, जातक मानसिक तनाव का सामना करता है। जातक के वाहन दुर्घटना की भी संभावना होती है। जातक की माता की मृत्यु या गंभीर रोगों से ग्रसित होने की संभावना होती है। जातक अपने मातृभूमि को छोड़कर विदेश शिफ्ट हो सकता है।

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