कुंडली के नवम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के नवम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1)कुंडली के नवम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से छठे स्थान में है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का छठे भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) चतुर्थ भाव सुख का कारक होता है, नवम भाव भाग्य का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो, तब यह जातक के लिए बहुत ज्यादा शुभ माना जा सकता है। नवम भाव एक शुभ त्रिकोण है और चतुर्थ भाव केंद्र भाव है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब यह कुंडली में कुंडली को नैसर्गिक बल देता है।

3) चतुर्थ भाव शिक्षा का कारक होता है। नवम भाव उच्च शिक्षा का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तो जातक को उच्च शिक्षा प्राप्त होती है। जातक का शैक्षणिक स्तर बहुत ही उत्तम होता है। नवम भाव लंबी दूरी की यात्रा का कारक भाव है। अतः हम कह सकते हैं कि जातक शिक्षा प्राप्ती के लिए अपने मातृभूमि से दूर जा सकता है। जातक अपने जीवन में अपने शिक्षा के बदौलत उत्तम सफलता प्राप्त करेगा।

4) चतुर्थ भाव संपत्ति का कारक भाव होता है। नवम भाव संपदा का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक को अच्छी खासी संपत्ति प्राप्त होती है। जातक संपत्ति के मामले में भाग्यशाली हो सकता है। जातक अपनी पैतृक संपत्ति को भी प्राप्त करेगा।

5) चतुर्थ भाव सुख का कारक भाव होता है। नवम भाव भाग्य का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो, तब जातक को सभी प्रकार के सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध होते हैं। जातक आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करता है। जातक धनी और समृद्ध हो सकता है तथा उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो सकती है।

6) नवम भाव पिता और गुरु से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक अपने पिता और गुरु का आदर करता है। जातक को पिता का उत्तम सुख प्राप्त होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में पीड़ित हो तब जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक के पिता का गैर कानूनी साधनों से आय के स्रोत हो सकते हैं। जातक के पिता आध्यात्मिक और धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हो सकते हैं।

7) नवम भाव यात्रा से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव घर से संबंधित होता है, मातृभूमि से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में हो तब जातक अपनी मातृभूमि से दूर यात्रा कर सकता है। जातक की विदेश यात्रा भी संभव होती है। जातक धार्मिक यात्रा पर भी जा सकता है।

8) नवम भाव धर्म त्रिकोण होता है। चतुर्थ भाव मोक्ष त्रिकोण होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक धार्मिक क्रियाकलापों से में सुख की अनुभूति प्राप्त करता है। जातक मंदिर निर्माण, मंदिर में सेवा करना, मंदिर के रखरखाव से संबंधित कार्यों में एक्टिव रह सकता है। जातक अपने जीवन में अपनी इष्ट देवता के आशीर्वाद के बदौलत तरक्की प्राप्त करता है।

9) चतुर्थ भाव मन का कारक भाव है ।यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति होता है। जातक के संस्कार उत्तम होते हैं। जातक उत्तम सामाजिक आचरण रखता है। जातक अपने जीवन में उच्च विचारों का पालन करता है।

10)चतुर्थ भाव माता का कारक भाव होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से छठे स्थान में पीड़ित होकर स्थित हो तब यह माता के स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं माना जाता है। परंतु साधारण अवस्था में जातक की माता धार्मिक प्रवृत्ति की होती है। जातक की माता भाग्यशाली होती है।

11) नवम भाव चतुर्थ भाव से छठा भाव होता है, यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में पीड़ित हो तब जातक अपने जीवन में फ्रस्ट्रेशन का सामना करता है। जातक अपनी सफलता से संतुष्ट नहीं होता है। जातक की इच्छाएं ऊंची होती है। जातक अपनी इच्छाओं की पूर्ति नहीं होने के कारण अवसाद से ग्रसित हो सकता है।

12)यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव के स्वामी के साथ नवम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति राजयोग का निर्माण करता है। जातक धनी और समृद्ध हो सकता है। जातक अपने जीवन में सफलता प्राप्त करेगा। जातक धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। जातक भाग्यशाली व्यक्ति होगा। जातक के पास सभी प्रकार के सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध होंगे। जातक के पास अच्छी खासी संपत्ति होगी। जातक आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करें।

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