कुंडली के नवम भाव में तृतीयेश का प्रभाव
1)कुंडली के नवम भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम तृतीय भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से सप्तम भाव में स्थित है। अतः प्रथम भाव के स्वामी का सप्तम भाव में क्या प्रभाव होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) नवम भाव भाग्य स्थान होता है, तृतीय भाव जीवनसाथी का भाग्य स्थान होता है। अतः तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो, तब जातक के विवाह के उपरांत उसके भाग्य में वृद्धि होती है।
3) नवम भाव पिता का कारक भाव होता है। तृतीय भाव नवम भाव से सप्तम होने के कारण पिता के लिए मारक हो सकता है। अतः तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो, तब जातक और जातक के पिता के मध्य मतभेद हो सकते हैं। जातक के पिता जातक के प्रति वफादार नहीं होते हैं। सप्तम हाउस व्यापार या प्रोफेशन से भी संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में हो, तब जातक और जातक के पिता के मध्य व्यापार को लेकर मतभेद या विवाद हो सकता है। जातक के पिता का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। जातक के पिता विदेश में निवास कर सकते हैं। यह जातक और जातक के पिता एक दूसरे से अलग निवास कर सकते हैं। तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में यदि पापी ग्रहों या पापी भाव के स्वामियों के साथ पीड़ित हो, तब जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है या जातक के पिता की मृत्यु भी संभावित है।
4) तृतीय भाव और नवम भाव यात्रा से संबंधित भाव होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक की बहुत सारे यात्राएं संभव होती है। जातक विदेश में निवास कर सकता है। जातक का प्रोफेशन इस प्रकार का होगा कि जातक को बहुत सारी यात्राएं करनी पड़े। तृतीय भाव छोटे भाई से संबंधित होता है। जातक के छोटे भाई की विदेश यात्रा या लंबी दूरी की यात्रा संभव होती है। जातक का छोटे भाई जातक से दूर स्थान पर निवास कर सकता है।
5) तृतीय भाव छोटे भाई से संबंधित होता है। नवम भाव पिता से संबंधित होता है। अतः तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो, तब जातक के पिता के द्वारा जातक को पैतृक संपत्ति दी जाती है। यदि तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक अपने भाई की सहायता से भाग्यशाली होता है या भाई की सहायता से समृद्धि प्राप्त करता है।
6)तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में हो तब जातक धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति होता है। जातक दयालु और सम्मानित होता है। जातक अच्छे संस्कारों वाला होता है और अपनी मोरालिटी पर अडिग रहता है।
7) तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो, तब जातक का भाग्य उतार-चढ़ाव वाला होता है। जातक अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करता है।
8)तृतीय भाव का स्वामी नवम भाव के स्वामी के साथ नवम भाव में स्थित हो, तब जातक धार्मिक और संस्कारों वाला व्यक्ति होता है। जातक के अनेक लंबी यात्राएं होती है। जातक धार्मिक यात्रा पर जाता है। जातक अपने मेहनत के दम पर सफलता प्राप्त करता है। जातक के भाई भाग्यशाली और धनी होते हैं। जातक के पिता के प्रॉपर्टी में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी होती है। यदि द्वितीय भाव का स्वामी नवम भाव में नवम भाव के स्वामी के साथ पीड़ित हो तब जातक के पिता की मृत्यु की भी संभावना होती है।