कुंडली के नवम भाव में पंचमेश का प्रभाव

कुंडली के नवम भाव में पंचमेश का प्रभाव

1) कुंडली के नवम भाव में पंचमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम पंचम भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। पंचम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का पंचम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) नवम भाव पंचम भाव का भावत भावम भाव है, साथ ही पंचम भाव नवम भाव का भावत भावम भाव है, अतः पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हों तब यह पंचम भाव और नवम भाव दोनों के नैसर्गिक गुणों में बढ़ोतरी करता है। पंचम भाव और नवम भाव दोनों कुंडली के धर्म त्रिकोण और बहुत ही शुभ भाव माने जाते हैं, अतः पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब यह शुभ माना जाता है। पंचम भाव जातक के पिछले जन्म के पुण्य से संबंधित होता है, नवम भाव जातक के भाग्य से संबंधित होता है, अतः भाग्य और पुण्य का आपस में संबंध जातक के लिए बहुत ही उत्तम माना जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित होकर कई प्रकार से शुभ योग का निर्माण करता है।

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3) पंचम भाव संतान से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब यह संतान के लिए बहुत ही उत्तम माना जा सकता है। जातक की संतान दीर्घायु होंगे। जातक को उत्तम संतान की प्राप्ति होगी। जातक की संतान अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त करेंगे और जातक अपनी संतान के भाग्य से प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है।

4) नवम भाव पिता से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक के पिता भाग्यशाली होते हैं। जातक को अपने पिता का सुख प्राप्त होता है और जातक के अपने पिता से अच्छे संबंध होते हैं। जातक अपने गुरु और पिता का आदर और सम्मान करता है।

5) पंचम भाव और नवम भाव दोनों धर्म स्थान हैं। यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक को भगवान पर गहरी आस्था होगी। जातक धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति होगा। जातक धार्मिक क्रियाकलापों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा। जातक किसी धार्मिक संस्था का प्रमुख हो सकता है या धार्मिक संस्था का सक्रिय सदस्य हो सकता है या धार्मिक आयोजनों का आयोजक हो सकता है। जातक मंदिर और मंदिर जैसे धार्मिक संस्थानों का निर्माण करा सकता है। जातक धर्म से संबंधित कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाएगा। साथ ही जातक जनता के भलाई के कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाएगा। जातक धार्मिक यात्रा पर जा सकता है।

6) यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक नैसर्गिक रूप से भाग्यशाली व्यक्ति होगा। जातक पिछले जन्म के पुण्य के कारण इस जन्म में भाग्यशाली होगा। जातक अपने जीवन में बहुत ही अच्छी सफलता प्राप्त करेगा। जातक अपने जीवन में अनेक अवसर प्राप्त करेगा। साथ ही उसे जीवन में आसानी से सफलता प्राप्त होगी। जातक जीवन में अच्छा धन अर्जित करेगा। साथ ही अच्छी प्रसिद्धि भी प्राप्त करेगा।

7)पंचम भाव जातक की मानसिकता से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक दयालु और उदार प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। जातक जरूरतमंदों की सहायता करेगा। जातक अपनी सामर्थ्य के अनुसार गलत कार्यों का विरोध करेगा। जातक एक अच्छा वक्ता होगा। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि जातक एक पुण्यात्मा व्यक्ति होगा।

8)पंचम भाव विद्या से संबंधित होता है। नवम भाव उच्च शिक्षा से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब, जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है। जातक वेद वेदांग और इस प्रकार के पारंपरिक शास्त्रों में भी पारंगत हो सकता है। जातक ज्ञानी व्यक्ति होगा और जातक के पास विभिन्न प्रकार के विद्याओं की जानकारी होगी। जातक के पास ब्रह्मविद्या भी हो सकता है। आज के परिपेक्ष में अगर हम बात करें तब जातक इस प्रकार की विद्या में निपुण होगा जहां पर बहुत ज्यादा ज्ञान और गणना की जरूरत होती है। जातक को हमेशा एक उत्तम गुरु प्राप्त होगा।

9)नवम भाव यात्रा से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक लंबी दूरी की यात्रा या विदेश यात्रा कर सकता है। जातक के धार्मिक यात्राओं की भी संभावना बन सकती है। जातक विद्या प्राप्ति के लिए भी विदेश में निवास कर सकता है।

10)यदि पंचम भाव का स्वामी नवम भाव के स्वामी के साथ नवम भाव में स्थित हो तब यह एक उत्तम योग का निर्माण करता है। जातक भाग्यशाली व्यक्ति होगा। जातक के पिता भी भाग्यशाली होंगे। जातक के पिता को सरकार से या प्रशासन से सहायता प्राप्त होगी। जातक को उत्तम धन प्राप्त होगा। जातक को पैतृक संपत्ति की प्राप्त होगी। जातक को अपने पिता का उत्तम सुख प्राप्त होगा। जातक एक अच्छा गुरु या धार्मिक व्यक्ति हो सकता है। जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी होगी। जातक का नेम और फेम अच्छा होगा। जातक को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

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