कुंडली के पंचम भाव में मंगल का प्रभाव
1) कुंडली के पंचम भाव में मंगल का प्रभाव जानने से पहले सर्वप्रथम हम कुंडली के पंचम भाव और मंगल के कारक के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) पंचम भाव संतान से संबंधित भाव होता है। मंगल एक पापी ग्रह है। यदि मंगल पंचम भाव में पीड़ित हो तब जातक को संतान उत्पत्ति में परेशानी दे सकता है। अगर मंगल पंचम भाव में एक से ज्यादा पापी ग्रह से पीड़ित हो तब हम कह सकते हैं कि जातक को गर्भपात की समस्या हो सकती है। जातक का अपनी संतान के साथ मतभेद या डिस्प्यूट रह सकता है।
3) पंचम भाव जातक की मानसिकता और बुद्धिमता का कारक भाव है। मंगल एक्शन का कारक ग्रह है, अतः पंचम भाव में स्थित मंगल जातक को सोचने की जगह कार्य करने या एक्शन लेने की मानसिकता देता है। जातक गर्म मिजाज का, एग्रेसिव और और अस्थिर चित्त का व्यक्ति हो सकता है। जातक ऐसा व्यक्ति होगा जो सोचने में समय बर्बाद करने की जगह कार्य करने में विश्वास रखेगा। मंगल दंड नीति का कारक है, जातक दूसरों की गलती पर जातक को दंड देने को उत्सुक होता है। पंचम भाव में स्थित मंगल जातक को बातूनी बना सकता है।
4) पंचम भाव में स्थित मंगल जातक को पाचन संबंधी समस्या दे सकता है। जातक को लीवर से संबंधित समस्या हो सकता है। मंगल अग्नि तत्व से संबंधित ग्रह है अतः जातक पित्त दोष से संबंधित समस्या से पीड़ित रह सकता है।
5) मंगल एक तामसिक ग्रह है अतः जातक तामसिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। पंचम भाव में स्थित मंगल जातक को विषय वासना की ओर झुकाव दे सकता है।
6) पंचम भाव में स्थित मंगल जातक को मैटेरियलिस्टिक या सांसारिक सुख सुविधा की ओर झुकाव रखने वाला व्यक्ति बना सकता है।