कुंडली के पंचम भाव में सूर्य का प्रभाव
1) कुंडली के पंचम भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम हम सूर्य और पंचम भाव के कारकत्व का अध्ययन करेंगे।
2) पंचम भाव संतान से संबंधित होता है। सूर्य पंचम भाव में संतान के संबंध में अच्छा नहीं माना जाता है, यदि सूर्य पंचम भाव में बुरी स्थिति में हो तब जातक को संतान प्राप्ति में देरी की संभावना होती है। यदि सूर्य पंचम भाव में स्थित हो तो नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं। सूर्य पंचम भाव में जातक के प्रथम संतान बहुत ही अच्छी प्रसिद्धि देता है।
3) पंचम भाव जातक की मानसिक स्थिति को बताता है। सूर्य एक अग्नि तत्व की प्रधानता वाला ग्रह है। जब सूर्य पंचम भाव में हो तो जातक गर्म मिजाज का, तुनक मिजाज और जल्दबाज प्रवृत्ति का होता है। सूर्य एक स्थिति का ग्रह है, अतः जातक अड़ियल प्रवृत्ति का हो सकता है लेकिन वह स्थिर चित्त वाला होगा।
4) सूर्य अहम का कारक होता है पंचम भाव में सूर्य जातक को अहंकारी बनाता है। सूर्य ग्रहों का राजा है, अतः जातक व्यवहार में राजा के समान आचरण वाला होता है। जातक आधुनिक विचारों वाला होगा और अपनी आधुनिक विचारों को प्रदर्शित करेगा। जातक महत्वाकांक्षी होगा।
5) पंचम भाव बुद्धिमत्ता का कारक होता है, सूर्य पंचम भाव में जातक को बुद्धिमान बनाता है। जातक विद्वान होगा और उसको चीजों की अच्छी जानकारी होगी।
6) पंचम भाव मंत्र का कारक होता है, सूर्य जोकि मंत्रों के जानकारी का नैसर्गिक कारक ग्रह है जातक को मांत्रिक या मंत्रों का उच्चारण करने वाला बनाता है।
7) पंचम भाव में सूर्य जातक को पेट से संबंधित रोक दे सकता है, जैसे लीवर से संबंधित समस्या या पाचन तंत्र से संबंधित समस्या या गैस्टिक इत्यादि।
8) पंचम भाव में सूर्य जातक को शेयर बाजार या सट्टेबाजी से लाभ दिलवा सकता है क्योंकि पंचम भाव में सूर्य जातक को सट्टेबाजी में पूर्वाभास देता है।
9) यदि सूर्य पंचम भाव में सुस्थित हो तो जातक धनी हो सकता है यदि पंचम भाव में सूर्य पिड़ित हो तो जातक धन से संबंधित समस्या से परेशान रह सकता है।