कुण्डली मिलान की अष्टकूट विधी
कुण्डली मिलान भाग – 2
पिछले अंक मे हमने जानकारी प्राप्त किया कि हम कुण्डली क्यों मिलाते है।
1)वर्ण मिलान – कुण्डली मिलान मे प्रथम कूट मिलान है वर्ण मिलान । वर्ण मिलान से हम जातक की मानसिक व्यवहार का मिलान करते है।
2) वश्य मिलान – कुण्डली मिलान की द्वितीय कूट मिलान है वश्य मिलान । वश्य मिलान से हम जातक की शारीरिक व्यवहार का मिलान करते है।
3)तारा मिलान – तृतीय कूट मिलान है तारा मिलान।हम तारा मिलान मे जातक और जातिका की जन्म नक्षत्र की आपस मे संबधो का मिलान करते है ।
4) योनि मिलान – योनि मिलान कुण्डली मिलान की चतुर्थ कूट मिलान है । योनि मिलान से हम वैवाहिक जीवन में आनंद और संतुष्टि का मिलान करते है ।
5)ग्रह मैत्री मिलान – पंचम कूट मिलान है ग्रह मैत्री मिलान। ग्रह मैत्री मिलान से हम जातक और जातिका के आपसी एक दूसरे के प्रति सहायता और आपसी सहमती का मिलान करते है।
6) गण मिलान – षष्टम कूट मिलान है गण मिलान ।गण मिलान द्वारा हम मानसिक सोच का मिलान करते है ।
7)भूकूट मिलान – सप्तम कुट मिलान है भूकूट मिलान। भूकूट मिलान से हम जातक की दशा प्रणाली का मिलान करते है ।
8)नाड़ी मिलान – अष्टम कूट मिलान है नाड़ी मिलान ।नाड़ी मिलान से हम स्वास्थ्य और संतान जन्म की संभावना का मिलान करते है।
अगले अंक मे हम वर्ण मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे ।