पुष्य नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र

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1) 8वीं नक्षत्र

2) अंग्रेजी नाम- Cancri

3)नक्षत्र स्थिती — कर्क राशी मे 3 डिग्री 20मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक

4) राशि स्वामी – चंद्रमा

5)विशोंतरी दशा स्वामी – शनि

6)नक्षत्र देवता – देवगुरु बृहस्पति

7) प्रतीक – गाय का थन/पुष्प

8)वर्ण – क्षत्रिय लेकिन कुण्डली मिलान मे  ब्राह्मण

9)वश्य – जलचर

10)गण – देव गण

11) योनि – मेष

12) योनि वैर — वानर

13) नाडी – मध्य

14)स्वाभव – धैर्यवान

15) प्रकृति– स्थिती

16) गुण – तामसिक(तमो)

17) दोष- पित्त दोष

18) लिंग – पुरुष लिंग

19) दिशा- आकाश की ओर

20) तत्व -जलीय

21) प्रकृति – क्षिप्र

22) रंग – लालिमा युक्त कृष्ण वर्ण

23)वर्ण – हू,हे,हो,डा

24) पुष्य नक्षत्र का पुराना नाम तिस्या भी है

25) पुष्य वृद्धि ,शुभता और सिद्धी का संकेत देता है।

26) व्यवहार – पुष्य नक्षत्र चंद्रमा, बृहस्पति और शनि का प्रभाव मे होेता है अतः अध्यातमिकता, धार्मिक,मेहनती, सहायक, दयालुता,संवेदनशील, ईमानदार, शांत दिमाग, व्यवस्थित कार्यकर्ता, अच्छे सलाहकारों, दूसरे के लिए संरक्षक की तरह देखभाल करने वाले, हमेशा भीतरी दिल में स्वार्थी लेकिन अच्छाई का दिखावा करने वाला, विस्तारवादी, शिष्टाचार और शिष्टता, अभिमानी जुनून, धैर्य

27) पेेशा – कृषि व्यापारी, धार्मिक नेताओं, आध्यात्मिक शिक्षक, दार्शनिक, सलाहकार, परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक, नियोजक, डेवलपर या विकास के काम, प्रशासन, अनुसंधान, राजनीति, शिक्षकों, प्रोफेसर, भूवैज्ञानिक और जीववैज्ञानिक

28)सबसे विनाशकारी नक्षत्र – कृतिका

29)विपत्त नक्षत्र  – केतु द्वारा शासित नक्षत्र- माघा, मूला, अश्विनी

30)प्रत्यारी नक्षत्र – सूर्य द्वारा शासित नक्षत्र -उत्तरफाल्गुणी नक्षत्र,उत्तराषाढ़,कृतिका

31)बाधा नक्षत्र – मंगल ग्रह द्वारा शासित नक्षत्र -चित्रा, धनिष्ठा, मृगशिरा

32) मित्र नक्षत्र – राहु और बृहस्पति द्वारा शासित नक्षत्र – स्वाति, विशाखा, शतभिषा, पूर्वभाद्रपद,आद्रा, पुनर्वसु

33)सबसे सहज नक्षत्र- कृतिका

35) सबसे असहज नक्षत्र- पूर्वाषाढ़ा और श्रवणा

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