June 2020

कुंडली के सप्तम भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के सप्तम भाव में राहु का प्रभाव 1)कुंडली के सप्तम भाव में राहु के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम राहु और सप्तम भाव से नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) सप्तम भाव को विवाह स्थान माना जाता है जब राहु सप्तम भाव में हो तब जातक के विवाह के समय […]

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कुंडली के छठे भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के छठे भाव में राहु का प्रभाव 1)कुंडली के छठे भाव में राहु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम राहु और छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) छठा भाव को उपचय भाव माना जाता है। राहु एक नैसर्गिक पापी ग्रह है। ऐसी मान्यता है कि नैसर्गिक पापी

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कुंडली के पंचम भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के पंचम भाव में राहु का प्रभाव 1)कुंडली के पंचम भाव में राहु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम पंचम भाव और राहु के नैसर्गिक कार्य के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) पंचम भाव संतान से संबंधित भाव होता है। राहु एक पापी ग्रह है, अतः पंचम भाव में पितृ दोष उत्पन्न

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कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु का प्रभाव 1)कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और राहु के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2)सामान्य तथा चतुर्थ भाव में राहु को अशुभ माना जाता है, क्योंकि चतुर्थ भाव में स्थित राहु जातक के जीवन में

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कुंडली के तृतीय भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के तृतीय भाव में राहु का प्रभाव 1) कुंडली के तृतीय भाव में राहु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम राहु और तृतीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) तृतीय भाव जातक की क्षमता का कारक भाव होता है। राहु एंपलीफायर एजेंट के रूप में कार्य करता है।

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कुंडली के द्वितीय भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के द्वितीय भाव में राहु का प्रभाव 1)कुंडली के द्वितीय भाव में राहु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम राहु और द्वितीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) राहु के द्वितीय भाव में स्थित होने से जातक मीठा वचन बोलता है। वह अपने लुभावनी वचनों से लोगों को

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कुंडली के प्रथम भाव में राहु का प्रभाव

कुंडली के प्रथम भाव में राहु का प्रभाव 1)कुंडली के प्रथम भाव में राहु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम राहु और प्रथम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) प्रथम भाव में स्थित राहु जातक के शारीरिक बनावट, स्वास्थ्य, मस्तिष्क, स्वभाव और आचार विचार पर गहरा प्रभाव डालता है।

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कुंडली के द्वादश भाव में शनि का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में शनि का प्रभाव 1)कुंडली के द्वादश भाव में शनि का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम शनि और द्वादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) द्वादश भाव व्यय भाव के रूप में जाना जाता है। शनि व्यय का कारक ग्रह है। अतः द्वादश भाव में

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कुंडली के एकादश भाव में शनि का प्रभाव

कुंडली के एकादश भाव में शनि का प्रभाव 1)कुंडली के एकादश भाव में शनि का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम एकादश भाव और शनि के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) ऐसी मान्यता है कि एकादश भाव एक उपचय भाव होता है और नैसर्गिक पापी ग्रह उपचय हाउस में शुभ फल

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कुंडली के दशम भाव में शनि का प्रभाव

कुंडली के दशम भाव में शनि का प्रभाव 1)कुंडली के दशम भाव में शनि का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम दशम भाव और शनि के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) शनि काल पुरुष की कुंडली में दशम एवं एकादश भाव का स्वामी है। अतः शनि को कर्म कारक ग्रह माना

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