कुंडली के षष्टम भाव में नवमेश का प्रभाव

कुंडली के षष्टम भाव में नवमेश का प्रभाव

1)कुंडली के छठे भाव में नवमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम छठे भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कार्य के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करते हैं। नवम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से दशम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का दशम भाव में क्या फल होगा, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं।

2) नवम भाव और छठा भाव एक दूसरे से चतुर्थ और दशम होते हैं अर्थात चतुर्थ – दशम का संबंध स्थापित करते हैं जो कि एक उत्तम संबंध माना जाता है। परंतु छठा भाव दु:स्थान है, अतः कुंडली के सबसे शुभ भाव के स्वामी का दु:स्थान में स्थित होना किसी भी प्रकार से शुभ नहीं माना जा सकता है। इसका एक सामान्य अर्थ यह भी है कि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित होकर छठे भाव के नैसर्गिक कारक में वृद्धि करता है, यह जातक के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है। साथ ही नवम भाव के शुभ प्रभाव में कमी होती है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि नवमेश का छठे भाव में स्थित होने के कारण जातक की जीवन में परेशानियों में वृद्धि होती है।

3) नवम भाव भाग्य स्थान से संबंधित होता है और छठा भाव जातक के जीवन में परेशानियों से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक का भाग्य मंदा हो सकता है। जातक को अपने भाग्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। जातक अपने जीवन में आने वाले अफसर का सदुपयोग नहीं कर पाता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठा भाव में शुभ स्थिति में ना हो तब जातक दुर्भाग्य से भी पीड़ित रहता है।

4) छठा भाव मामाजी से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक के मामा भाग्यशाली, समृद्ध, और धनी होते हैं। लेकिन जातक को अपने मामा से किसी प्रकार की सहायता नहीं प्राप्त होती है।

5) नवम भाव पिता से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब यह जातक के पिता के लिए शुभ नहीं माना जा सकता हैं। जातक के पिता का स्वास्थ्य मध्यम होता है। जातक के पिता विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित रह सकते हैं। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक के पिता लंबी चलने वाली बीमारी या असाध्य रोगों से पीड़ित हो सकते हैं। छठा भाव नवम भाव से दशम होता है। नवमेश छठे भाव में हो तब जातक के पिता की गैरकानूनी कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। जातक के पिता अनैतिक कार्यों से धन अर्जित कर सकते हैं। जातक के पिता कानूनी समस्या का सामना कर सकते हैं। यदि नवमेश छठे भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक को अपने पिता का सुख कम प्राप्त होता है। जातक के अपने पिता से मतभेद हो सकते हैं। जातक अपनी पैतृक संपत्ति को प्राप्त करने के लिए कानूनी समस्या का सामना कर सकता है। जातक अपने अनैतिक कार्यो के कारण अपनी पैतृक संपत्ति को नाश सकता है। जातक के पिता के उनके प्रोफेशनल लाइफ में बहुत सारे शत्रु हो सकते हैं।

6) छठे भाव शत्रु से संबंधित होता है। नवम भाव भाग्य से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक के शत्रु भाग्यशाली होते हैं। जातक को अपने शत्रु से परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि जातक के शत्रु भाग्यशाली होते हैं अतः वह जातक पर विजय भी प्राप्त कर सकते हैं। यदि छठा भाव में स्थित नवमेश शुभ स्थिति में हो तब जातक को अपने शत्रुओं से भी सहायता प्राप्त होती है।

7) कानूनी छठा भाव कानूनी मसलों से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित तब जातक लीगल समस्या का सामना कर सकता है। जातक लीगल मामलों में भाग्यशाली होता है और कानूनी समस्याओं में विजय प्राप्त करता है। यदि नवमेश छठे भाव में शुभ हो तब जातक वकील या जज हो सकता है। नवम भाव उच्च शिक्षा से भी संबंधित होता है अतः जातक लीगल स्ट्रीम में अपनी शिक्षा प्राप्त कर सकता है। साथ ही जातक मेडिकल की भी पढ़ाई कर सकता है।

8) छठा भाव कर्ज से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को आसानी से लोन प्राप्त हो जाता है। यदि नवमेश छठे भाव में शुभ स्थिति में ना हो तब जातक को अपने लोन चुकाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कभी-कभी तो जातक को अपने पिता के कर्ज के कारण भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

9) नवम भाव प्रसिद्धि का कारक भाव होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को आरोपों का भी सामना करना पड़ सकता है। जातक अपने कानूनी समस्या या लोन या अपने अनैतिक कार्यों के कारण बदनामी का सामना कर सकता है। यदि स्थिति में हो तब जातक लीगल फील्ड में अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त करता है।

10) नवम भाव धर्म का भी कारक भाव होता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक धर्म के प्रति बहुत ज्यादा गहरी आस्था नहीं रखता है। धर्म के नाम पर जातक आडंबर करने में विश्वास रखता है। जातक तंत्र मंत्र या काला जादू जैसी चीजों में विश्वास रखने वाला या उसकी जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करने वाला व्यक्ति को सकता है।

11) यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव के स्वामी के साथ छठे भाव में स्थित हो, तब जातक अपने जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करता है। जातक जज हो सकता है। जातक एक अच्छा सलाहकार हो सकता है। जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। यदि नवम भाव का स्वामी छठे भाव में पीड़ित हो तब जातक के पिता रोगों से ग्रसित रह सकते हैं या कानूनी समस्या का सामना करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *