कन्या राशी
1) कालपुरुष की 6th प्राकृतिक राशी
2)राशी स्वामी – बुध
3) नक्षत्र – उत्तर फाल्गुणी अंतिम 3पद, हस्ता संपूर्ण 4पद , चित्रा प्रथम 2पद
4) प्रकृति- द्वि स्वाभव
5) तत्व – भूमि
6) दिशा-दक्षिण
7) स्थान – जलयुक्त भूमि, खेती योग्य क्षेत्र, वनस्पति युक्त क्षेत्र , गार्डन, कलाकार के लिए उपयुक्त जगह , महिलाओं के घूमने वाले क्षेत्र,रसोईघर, अनाज के भंडारगृह
8) दोष – वत्ता
9) शरीर के अंग- कमर
10) कद – मध्यम
11) लिंग – स्त्री लिंग
12) बंजर राशि और सौम्य राशी
13) जीव/पूर्ण संवेदनशिल
14) उदयविधी– शिर्षोदय राशी
15) वश्य -मानव
16) वर्ण- वैश्य
17) बुध की उच्च राशी
18) शुक्र की नीच राशी
19) बुध की मूलत्रिकोना राशि 15 से 20 डिग्री तक , शेष बुध का अपना घर है।
20) मित्र ग्रह – शुक्र (जब नीच भंग राज्ययोग हो), सुर्य , शनि
21)तटस्थ ग्रह – शुक्र (जब साधारण नीच भंग हो), बृहस्पति
22) शत्रु ग्रह – शुक्र (नीच का हो), चंद्रमा, मंगल
23) व्यवहार – शर्मीली, संवेदनशील, आकर्षित करने वाला मुस्कान, प्रैक्टिकल, ग्लेमरस, बुद्धिमान,धीमी गति से काम करने वाला, परफेक्सन प्रेमी, आलसी, अन्य द्वारा विरोध किया जब पूर्णता प्रेमी, राज छुपाने वाला दिल, अच्छी तार्किक क्षमता, तीखी आवाज, रिस्पोंसिवल, मृदुभाषी,कलाकार, कलाप्रेमी, सुरक्षित व्यक्तिगत मानसिकता, स्वच्छता प्रेमी, मनोवैज्ञानिक समस्या (भावनात्मक वजह से, जब कोई हृदय तोड़ दे या दिल को ठेस पहुचाँए)
24)कन्या दिन मे बली राशी है।
25) कन्या तामसिक गुण वाली राशी है।
26) होराशास्त्र के अनुसार
पार्वतीयाथ कन्याख्या राशिर्दिनबलान्विता।
शिर्षोदया च मध्यांगा द्विपाद्याम्यचरा च सा।
सा सस्य दहना वैश्या चित्रवर्णा प्रभञ्जिनी।
कुमारी तमसा युक्ता बालभावा बुधाधिपी।
पर्वतिय क्षेत्र मे निवास करने वाली कन्या राशी दिन मे बली होती है। शिर्षोदय राशी, मध्यम शरीर वाली, द्विपद, दक्षिण दिशा मे निवास करने वाली होती है। उसके एक हाथ मे अनाज दूसरे हाथ मे अग्नि है। यह वैश्य वर्ण और कलाकार या विभिन्न के व्यापार करने वाली जाती से संबंधित है। यह प्रभजंन या झंझावात से संबंधित है। यह गुणो मे तामसिक और कुंवारी स्त्री के (बालसुलभ मुग्ध करने वाले गुण) वाली है और बुध ग्रह के अधीन है।