कृतिका नक्षत्र
1)तृतीय नक्षत्र
2) अंग्रेजी नाम- Alcyone/Tauri
3) नक्षत्र स्थिती— 26डिग्री 40 मिनट मेष राशी से 10डिग्री वृष राशी
4)राशी स्वामी — प्रथम पद मेष राशी मे स्थित होता है अतः राशी स्वामी मंगल है तथा अंतिम 3पद वृष राशी मे स्थित है अतः राशी स्वामी शुक्र है ।
5) विशोंतरी दशा के शासक ग्रह- सूर्य
6) देवता -अग्नि देव /कृतिका देवी भगवान कार्तिकेय की माँ
7)वर्ण – कृतिका क्षत्रिय की तरह व्यवहार करता है। लेकिन कुण्डली मिलान में प्रथम पद क्षत्रिय और अंतिम 3पद वैश्य पर विचार किया जाता है।
8) वश्य – चतुष्पद
9) गण- राक्षस
10) योनि- मेष (भेड़)
11)योनि वैर – वानर
12) नाडी- अन्त
13) दोष- कफ दोष
14) गुण – राजसिक (रजो)
15) दिशा- पाताल की ओर
17) तत्व – भू तत्व
18) प्रकृति – मिश्रित (तीक्ष्ण और मृदु)
19) श्रेणी- संहारक(विघटन)
20) लिंग- स्त्री लिंग
21) गतिविधि – एक्टिभ
22) रंग – सफेद
23) अक्षर – अ,इ,उ,ए
24) प्रतीक – तेज उस्तरा या काटने वाले धारधार उपकरण
25) व्यवहार – प्रतीक के रूप में कटर है इसलिए तेज दिमाग, तीक्ष्ण व्यवहार,पैनिक,फैंक
अग्नि देव देवता है इसलिए आक्रामक, ऊर्जावान, अत्यंत गुस्सा वाला,नष्ट करने के लिए गंभीर कार्रवाई करने वाला , हमेशा आरोप सहने वाला, गैर जिम्मेदाराना, शुद्ध हृदय,
(वे झूठ पकड़ने की शक्ति है और कारण प्रकृति में औदार्य को इतनी कठोरता से कहा क्योंकि) आध्यात्मिक, ईमानदार, मेहनती, मूडी, अच्छा तर्क,नकारात्मक तार्किक आलोचना करने वाला( क्योकिं उनमे झूठ पकड़ने की क्षमता होती है इसलिए वै अपनी फैंकनेंस के कारण रुखापन के साथ सामने वाले के झूठ को उजागर कर देते है।)
26) पेशा – सूर्य के कारण – प्रशासनिक,लीडर, खगोलविदों, चिकित्सा, यार्न, बहुराष्ट्रीय कंपनी आदि
अग्नि देव देवता है अतः- अाग से संबंधित पेशा जैसे फायर विभाग, विस्फोटक, बढ़ई, हथियार, आध्यात्मिक कार्य
क्षत्रिय वर्ण है अतः सशस्त्र सेना, पुलिस, (यह भी ध्यान दें कि युद्ध, लड़ाई, सेना, विवादों विशेष रूप से हिंसक प्रकार के हथियार से लड़े जाने वाले लड़ाई कृतिका से संबंधित होते है।)
धारधार हथियार प्रतिक है इसलिए
कसाई, दर्जी, नाई, तीव्र उपकरण निर्माता, ड्रिलिंग (नीचे दिशा के कारण यह दर्शाता है), इंजीनियरिंग, आदि –
इनके अलावा वकील, कलाकृति, खोजी कार्य, मेटा चिकित्सक, कुशल जादूगर, सोना और धन से संबंधित कार्य
27)कृतिका के लिए विनाशकारी नक्षत्र(23वीं नक्षत्र) पूर्वभाद्रपद है।
28) सबसे सहज नक्षत्र – पुष्य नक्षत्र
29) सबसे असहज नक्षत्र -पूर्वाषाढ़ और श्रवणा नक्षत्र
30)विपत्त नक्षत्र – मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा ( मंगल द्वारा शासित नक्षत्र)
31) प्रत्यारी नक्षत्र – पुनर्वसु,विशाखा,पूर्वभाद्रपद ( गुरु द्वारा शासित नक्षत्र)
32)बाधा नक्षत्र – बुध द्वारा शासित नक्षत्र–
अश्लेषा,ज्येष्ठा, रेवती
33) मित्र नक्षत्र – केतु और शुक्र द्वारा शासित नक्षत्र – अश्विनी, भरणी, माघा, पूर्व फाल्गुणी,मूला,पूर्वाषाढ़