रोहणी नक्षत्र
1)चतुर्थ नक्षत्र
2) अंग्रेजी नाम- एल्डेबारन / अल्फा टौरी
3) प्रतीक – एक बैल गाड़ी
4)नक्षत्र स्थिति- 10डिग्री से 23 डिग्री 20 मिनट वृष राशी मे
5) राशि स्वामी – शुक्र
6)विशोंतरी दशा स्वामी – चंद्रमा
7) देवता – ब्रह्मा
8) वर्ण- शूद्र, लेकिन कुण्डली मिलान में यह वैश्य के रूप में विचार किया जाता है।
9)वश्य – चतुष्पद
10) गण – मनुष्य
11) योनि – सर्प
12) योनि वैर – नकुल
13) रंग – सफेद
14)वर्ण – ओ, वा, वी ,वू
15) नाड़ी- अन्त
16) स्वाभव – संतुलित
17) प्रकृति- सृष्टि
18) दिशा- ऊपर की ओर
19) लिंग- स्त्री लिंग
20) दोष- कफ
21) रोहिणी फिक्स्ड / स्थायी / ध्रुव नक्षत्र है।
22) गुण – राजसिक (रजो)
23)तत्व – भू तत्व
24)रोहणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी है।
25) शारीरिक बनावट – समान्यतः रोहणी जातक आकर्षक होते है।वो असानी से लोगो का ध्यान आकर्षित कर लेते है। उनकी शारीरिक बनावट मे सेक्स अपील होगी है जो विपरीत लिंग को आसानी से आकर्षित कर लेती है। उनकी आंखों मे गजब की कशिस होती है।शरीर आम तौर पर अच्छी तरह से विकसित और मांसपेंशिया भी अच्छी तरह से विकसित होती है मतलब गदराया हुआ शरीर होता है।
26) व्यवहार — ब्रह्मा देवता है अतः वे प्रकृति में रचनात्मक होते है, कल्पना शक्ति रोहणी का एक अद्भुत गुण है । और रोहणी मे अपनी कल्पना को रचना मे परिवर्तित करने की क्षमता है। रोहणी आध्यात्मिक होते है।
चंद्रमा के कारण वे भावुक, चंचल और क्षणिक गुस्सा वाले होते है। अपने आप का दिखावा करने वाले, भ्रमित दिमाग वाले( अपनी नकारात्मकता और चंचलता के कारण निर्णय लेने मे भ्रमित ), दिमाग की जगह दिल से निर्णय लेने वाले, स्वतंत्र मस्तिषक वाले , बहुत लगाव या बहुत अलगाव प्रकार प्रकृति,मेहनती पर सही दिशा मे मेहनत नही करते है।
शुक्र के कारण वे विलीसिता की ओर आकर्षित, भाषण और व्यवहार में मिठास और नम्रता,प्रकृति में स्त्रीसुलभ आचरण (दो महिला ग्रह के प्रभाव के कारण)।
27)पेशा – प्रतीक बैलगाड़ी है अतः कृषि, श्रम वाले काम, दुग्ध उत्पाद, सभी कृषि से संबंधित काम है।
भगवान ब्रह्मा के कारण रचनात्मक प्रकार के कार्य जैसे रचनात्मक निर्देशक के रूप में,
आकर्षित शरीर के कारण – मॉडल, फैशन डिजाइनर आदि
चंद्रमा और शुक्र के कारण नृत्य, संगीत आदि कला से संबंधित कार्य, ज्वैलरी डिजाइनिंग, कल्पनाशील कार्य (जैसे विज्ञापन, फोटोग्राफी, संपादन, लेखन),मार्कैटिंग( लोगों को आसानी से आकर्षित करने की क्षमता और अच्छी तरह से प्रस्तुतीकरण के कारण)
28)रोहणी के लिए सबसे विनाशकारी नक्षत्र उत्तराभाद्रपद है।
29)रोहणी के लिए सबसे सहज नक्षत्र मृगशिरा है।
30)सबसे असहज उत्तराषाढ़ नक्षत्र है।
31)विपत्त नक्षत्र – राहु द्वारा शासित नक्षत्र – आद्रा, स्वाति, शतभिषा
32)प्रत्यारी नक्षत्र -शनि द्वारा शासित नक्षत्र – पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद
33)बाधा नक्षत्र – केतु द्वारा शासित नक्षत्र – माघा, मूला , अश्विनी
34) मित्र और अति मित्र नक्षत्र –शुक्र और सूर्य द्वारा शासित नक्षत्र सत्तारूढ़ – पुर्वफाल्गुणी, उत्तरफाल्गुणी, पूर्वाषाढ़ा , उत्तराषाढ़, भरणी और कृतिका