कुंडली के नवम भाव में सूर्य का प्रभाव
1)कुंडली के नवम भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम हम सूर्य और नवम भाव के कारकत्व को जानने का प्रयास करेंगे।
2) सूर्य पिता का नैसर्गिक कारक है और नवम भाव भी पिता का कारक हाउस है, अतः सूर्य नवम भाव में पिता के लिए अच्छा शुभ नहीं माना जाता है। जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है । अगर सूर्य नवम भाव में बहुत ज्यादा पीड़ित हो तो जातक को पिता के सुख में कमी या पिता की मृत्यु जैसी बुरे प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। जातक और उसके पिता के बीच मनमुटाव हो सकता है। जातक अपने पिता या गुरु की आज्ञा का पालन नहीं करेगा। यदि सूर्य नवम भाव में शुभ स्थिति में हो तब बुरा प्रभाव कम होगा और जातक अपने पिता का आज्ञाकारी पुत्र होगा तथा उसके पिता की आयु लंबी होगी।
3) नवम भाव सबसे ज्यादा शुभ भाव और धर्म स्थान माना जाता है। सूर्य धर्म का नैसर्गिक कारक ग्रह है क्योंकि वह एक सात्विक ग्रह है और राजधर्म से बंधा है, अतः नवम भाव में सूर्य जातक को धार्मिक प्रवृत्ति का बनाता है। जातक को धर्म और अपने भगवान पर विश्वास होगा। जातक अध्यात्मिक प्रवृत्ति का होगा। जातक धार्मिक क्रियाकलापों की ओर झुकाव वाला व्यक्ति होगा। जातक तीर्थ स्थानों और मंदिर की यात्रा करेगा। यदि सूर्य नवम भाव में बुरे प्रभाव में हो और पीड़ित हो तो जातक अपनी परंपरागत धार्मिक विश्वास को त्याग कर नवीन धर्म की ओर झुकाव रखेगा।
4)नवम भाव का सूर्य वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है । जातक के अपने पत्नी से संबंध अच्छे नहीं होंगे।
5) नवम भाव पंचम भाव का भावत भावम भाव है, सूर्य पुत्र का नैसर्गिक कारक ग्रह है। नवम भाव में स्थिति सूर्य के कारण जातक को सुपुत्र की प्राप्ति होगी । जातक अपने पुत्र की सहायता से जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करेगा।
6) नवम भाव में बैठा सूर्य तृतीय भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है, एक क्रूर ग्रह के कारण सूर्य जातक के भाइयों से संबंध खराब करवा सकता है। जातक को अपने भाग्य की प्राप्ति करने के लिए कड़ी मेहनत और प्रयास करना पड़ता है । वह आसानी से जीवन में सफलता प्राप्त नहीं करता है। जातक धनी हो सकता है और यह धन उसके कड़े मेहनत का फल है। यदि सूर्य सप्तम भाव में अच्छी तरह से विराजमान हो तो जातक राजा के समान धनी और सुख सुविधा का भोग करेगा।
7) नवम भाव में बैठा सूर्य जातक को मानसिक परेशानी देगा। जातक पैतृक संपत्ति को प्राप्त करेगा। जातक अभिमानी प्रवृत्ति का होगा और उसकी वाणी में उसकी प्रभुता की झलक दिखाई देगी ।
8) जातक को अच्छे मित्र प्राप्त होंगे। जातक लंबी यात्राएं करेगा और यह यात्राएं धार्मिक यात्राएं हो सकती है । जातक आधुनिक शहर की यात्राएं करा सकता है।