कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल का प्रभाव
1) कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम द्वितीय भाव और मंगल के कारक के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) द्वितीय भाव वाणी, धन, चेहरे , परिवार , नेत्र का कारक भाव है। मंगल एक तामसिक ग्रह है। मंगल उग्रता, क्रूरता, हिंसा का कारक ग्रह है। साथ ही यह बहादुरी, धैर्य और एक्शन का भी कारक ग्रह है।
3)द्वितीय भाव में स्थित मंगल के कारण जातक तेजी से और जल्दी-जल्दी बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है। उसकी यह हड़बड़ाहट जातक के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। जातक झगड़ालू प्रवृत्ति का समझा जा सकता है। जातक अपनी वाणी के द्वारा हिंसा करने वाला हो सकता है। जातक बातों की जगह कार्य करने में विश्वास रखने वाला हो सकता है। इसका एक दूसरा मतलब यह हो सकता है कि जातक किसी भी कार्य को बिना सोचे समझे कर देता है, जिसके कारण बाद में उसे पछताना पड़ता है। जातक ऊंचे स्वर में बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक बहस बाजी करने वाला व्यक्ति भी हो सकता है। जातक तर्क करने वाला व्यक्ति होगा लेकिन यह तर्क गलत दिशा में हो सकता है। जातक जल्दी-जल्दी बोलने वाला, तेजी से बोलने वाला, ऊंचे स्वर में बोलने वाला व्यक्ति होगा लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि जातक बोलने में होशियार बंदा हो।
4) द्वितीय भाव में स्थित मंगल जातक की चेहरे पर कील मुंहासे इत्यादि दे सकता है। जातक रक्त लालिमा लिए हुए चेहरे वाला व्यक्ति होगा। जातक को स्किन से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक के चेहरे पर कट या जलने का निशान हो सकता है।
5) द्वितीय भाव में स्थित मंगल जातक के धन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। जातक अपने धैर्य और क्षमता की बदौलत धन अर्जित करेगा। जातक अपने खुद के प्रयासों और बहादुरी के दम पर धन अर्जित करेगा। जातक मनी माइंडेड होगा। जातक बहुत सारी संपत्ति अपने दम पर अर्जित करेगा। वह धन के मामले में जरा सा भी दयालु रुख नहीं दिखाएगा। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जाकर आसानी से धन प्राप्त कर लेगा।
6)द्वितीय भाव में स्थित मंगल जातक के परिवार और पारिवारिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। जातक के परिवार में आपस में झगड़ा या परेशानी हो सकता है। जातक के पारिवारिक सदस्यों के बीच मनमुटाव हो सकता है।
7) मंगल एक तामसिक ग्रह है, अतः द्वितीय भाव में स्थित मंगल जातक के भोजन और आहार से जुड़ी आदतों के लिए अच्छा नहीं है। जातक तामसिक प्रवृत्ति के भोजन की ओर आकर्षित हो सकता है।
8)द्वितीय भाव में स्थित मंगल मांगलिक दोष का कारण होता है। जिस कारण द्वितीय भाव में स्थित मंगल वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
9) तृतीय भाव में स्थित मंगल जातक को नेत्र से संबंधित समस्या दे सकता है। द्वितीय भाव में मंगल यदि पीड़ित हो तब जातक को चोरों से या अग्नि द्वारा धननाश की संभावना बनी रहती है। द्वितीय भाव में स्थित मंगल यदि राहु के द्वारा पीड़ित हो तब जेल यात्रा या पुलिस या एक्सीडेंट से खतरा का कारण हो सकता है।