कुंडली के सप्तम भाव में गुरु का प्रभाव
1) कुंडली के सप्तम भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और गुरु के कारक के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक के आयु और स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। लेकिन ऐसी मान्यता है कि सप्तम भाव में स्थित गुरु वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
3) सप्तम भाव से गुरु जातक के लग्न पर पूर्ण दृष्टि डालता है, अतः एक नैसर्गिक शुभ ग्रह के लग्न पर दृष्टि डालना बहुत ही शुभ माना जाता है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ने कहा है कि अगर लग्न पर गुरु की दृष्टि हो तब वह गंगाजल की तरह कार्य करता है। जैसे गंगाजल में जातक के सारे पाप कर्म धुल जाते हैं, उसी प्रकार कुंडली के लग्न पर गुरु की दृष्टि जातक के कुंडली के सभी प्रकार के दोषों का नाश करने में सक्षम है।
4) वैसे तो सप्तम भाव को मारक भाव माना जाता है, लेकिन सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक के आयु में वृद्धि करता है। अगर सप्तम भाव में स्थित गुरु पीड़ित हो तब जातक को कफ से संबंधित समस्या, पेट से संबंधित समस्या, लीवर से संबंधित समस्या हो सकती है।
5) सप्तम भाव स्त्री से संबंधित भाव है, अतः सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक को सुशील, सुंदर, विश्वासी धार्मिक और उत्तम संस्कारों वाली पत्नी देता है।
6)सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक को उत्तम शारीरिक कद काठी वाला व्यक्ति बनाता है। जातक साफ-सुथरा रंग वाला और आकर्षक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति बनाता है। जातक दयालु स्वाभव व्यक्ति होगा।
7)सप्तम भाव में स्थित गुरु तृतीय भाव पर भी पूर्ण दृष्टि डालता है, अतः जातक मधुर वचन बोलने वाला और उत्तम वक्ता होगा। जातक एक अच्छा कवि या लेखक भी हो सकता है।
8) सप्तम भाव चतुर्थ भाव का भावत भावम भाव है। सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक को अच्छी शिक्षा और ज्ञान देता है। जातक की सीखने की क्षमता बहुत ही उत्तम होगी।
9) सप्तम भाव दशम भाव का भावत भावम भाव है। सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक को राज्य से लाभ दिलाता है। जातक सरकार की सहायता प्राप्त करेगा। और वह सरकारी संस्था में अच्छे पद पर हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार जातक अपने पिता से अधिक प्रसिद्ध और अच्छे प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति होगा।
10) जातक एक अच्छा डिप्लोमेट हो सकता है जातक के कूटनीति में माहिर, सरकार का प्रिय, उत्तम वक्ता तथा संवाद कुशल होने के कारण उसकी डिप्लोमेटिक पहुंच अच्छी हो सकती है
11) सप्तम भाव जातक के जन्म स्थान से बहुत दूर के स्थान को दर्शाता है। अतः सप्तम भाव में स्थित गुरु, जातक को धार्मिक स्थानों की यात्रा पर ले के जा सकता है। यह धार्मिक स्थान जातक के जन्म स्थान से बहुत दूर अवस्थित हो सकते हैं।
12) गुरु को पुत्र कारक ग्रह माना जाता है। सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक को सत्पुत्र देता है। जातक को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। जातक उत्तम वैवाहिक जीवन प्राप्त करेगा। जातक को उत्तम पत्नी प्राप्त होगी, जातक और उसकी पत्नी के बीच अच्छी समझ होगी। यदि सप्तम भाव में गुरु पीड़ित तब यह संतान के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
13) गुरु को भाग्य का कारक और धन का कारक ग्रह माना जाता है। सप्तम भाव में स्थित गुरु जातक को उत्तम भाग्य और धन प्रदान करता है। खासकर जातक के विवाह के बाद जातक के भाग्य और धन में वृद्धि होने की संभावना होती है।