कुंडली के अष्टम भाव में गुरु का प्रभाव

कुंडली के अष्टम भाव में गुरु का प्रभाव


1)कुंडली के अष्टम भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम गुरु और अष्टम भाव के कारक के संबंध में जानकारी प्राप्त करेंगे।


2) अष्टम भाव आयु से संबंधित भाव होता है और गुरु अष्टम भाव में स्थित होकर जातक को दीर्घायु बनाता है। जातक कफ से संबंधित समस्या का सामना कर सकता है।


3) गुरु को विद्या का कारक ग्रह माना जाता है, अष्टम भाव सीक्रेट या छिपी हुई या गूढ़ रहस्य से संबंधित विद्या से रिलेटेड होता है। अतः अष्टम भाव में स्थित गुरु जातक को ज्योतिष या परा विज्ञान जैसे विषयों में रूचि दिला सकता है। जातक रिसर्च से संबंधित स्टडी कर सकता है।


4) अष्टम भाव को मोक्ष स्थान माना जाता है। अष्टम भाव में स्थित गुरु जातक को अध्यात्म से संबंधित विषयों में रुचि दे सकता है। जातक धार्मिक यात्रा पर जा सकता है। जातक आध्यात्म और धर्म के गुड़ रहस्य को जानना चाहेगा।


5) अष्टम भाव में स्थित गुरु यदि उत्तम स्थिति में हो तब जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुख की प्राप्ति होगी। जातक को वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होगा।


6) अष्टम भाव में स्थित गुरु जातक को दयालु बनाता है। जातक दूसरों की सेवा की भावना रखने वाला व्यक्ति होगा। जातक के अंदर छुपे हुए बहुत सारे अवगुण होंगे, लेकिन जातक हमेशा अच्छा स्वरूप दूसरों को दिखाने के लिए उत्सुक होगा। जातक बुद्धिमान होगा, लेकिन वह अपनी बुद्धि का प्रयोग नकारात्मक तरीके से कर सकता है।


7) अष्टम भाव में स्थित गुरु जातक को विधवा स्त्री से संबंध रखने वाला बना सकता है। यदि गुरु पीड़ित हो तब जातक को वाणी दोष हो सकता है। यदि गुरु उत्तम स्थिति में हो तब वाक् सिद्धि प्राप्त होगी।

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