कुंडली के दशम भाव में गुरु का प्रभाव
1)कुंडली के दशम भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम गुरु और दशम भाव के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2)दशम भाव हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा का कारक भाव है, अतः दशम भाव में स्थित गुरु जातक को समाज में उत्तम मान और सम्मान प्राप्त करवाता है। जातक समाज में धार्मिक व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध होगा। जातक अपने अच्छे संस्कारों के लिए जाना जाएगा। यदि दशम भाव में गुरु पीड़ित हो तब जातक को अच्छी प्रसिद्धि तो प्राप्त होगी, पर जातक के कर्म उत्तम नहीं होंगे और वह अपनी बुद्धिमता का इस्तेमाल समाज को हानि पहुंचाने में करेगा।
3) दशम भाव में स्थित गुरु जातक को सरकारी नौकरी दिलाने में सक्षम होता है। जातक सरकार की सहायता प्राप्त करेगा। जातक एक अच्छा सरकारी सलाहकार हो सकता है। परंतु दशम भाव में स्थित गुरु जातक को हमेशा नंबर वन की जगह नंबर टू पोजीशन दिलाता है।
4) दशम भाव में स्थित गुरु के कारण जातक उत्तम धन अर्जित करता है, क्योंकि दशम भाव में स्थित गुरु एक साथ तीनो और त्रिकोण को प्रभावित करता है। जातक अपने प्रोफेशन के बदौलत ही अच्छा धन कमाएगा। साथ ही जातक को अपने पैतृक संपत्ति और पारिवारिक संपत्ति का भी लाभ प्राप्त होगा।
5) दशम भाव में स्थित गुरु जातक को शिक्षक, धार्मिक या आध्यात्मिक कार्यकर्ता, जज, सलाहकार, काउंसलिंग, फिलॉस्फर, बैंक धन या ट्रेजरी से संबंधित कार्य रोजगार के रूप में दिला सकता है। जातक सामाजिक कल्याण से संबंधित कार्यों में भी सक्रिय हो सकता है ।जातक धार्मिक संस्थानों से संबंधित कार्य भी कर सकता है।
6) दशम भाव में स्थित गुरु जातक को सभी प्रकार के सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध कराता है। जातक अपने परिवार का, रिश्तेदार का, मित्रों का और नौकर-चाकर का सुख प्राप्त करेगा। जातक शिक्षित व्यक्ति होगा। जातक को घर और वाहन की सुविधा प्राप्त होगी।
7) दशम भाव पिता की संपत्ति का कारक भाव भी है। अतः दशम भाव में स्थित गुरु पिता को धनवान बनाता है। जातक को अपनी पिता की संपत्ति प्राप्त होगी।