कुंडली के एकादश भाव में गुरु का प्रभाव
1) कुंडली के एकादश भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम गुरु और एकादश भाव के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) गुरु को धन का कारक ग्रह माना जाता है और गुरु एकादश भाव यानी लाभ स्थान पर विराजित है, अतः हम यह कह सकते हैं कि जातक धनी होगा। जातक उत्तम लाभ अर्जित करेगा। जातक को सभी प्रकार के सांसारिक और भौतिक सुख उपलब्ध होंगे। जातक की सारी इच्छाएं पूर्ति होगी। जातक को अपने मित्रों का और नौकर चाकर का सहायता मिलेगा। जातक को किसी भी प्रकार की फाइनेंसियल दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। जातक को सभी प्रकार के सुख सुविधाएं उपलब्ध होगी।
3) एकादश भाव को उपचय भाव माना जाता है, अतः एकादश भाव में स्थित गुरु अपनी नैसर्गिक गुणों का समय दर समय वृद्धि करता जाता है। अतः जातक बुद्धिमान होगा, ज्ञानी होगा, धार्मिक होगा, और भगवान पर उसकी अच्छी श्रद्धा होगी। जातक धर्म के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति होगा।
4) जातक दीर्घायु होगा। जातक बहादुर होगा और निर्भिक होगा। जातक अपने भाइयों की सहायता करेगा और अपनी भाइयों के साथ उसके अच्छे संबंध होंगे । जातक संगीत उनका प्रेमी व्यक्ति हो सकता है।
5) जातक दयालु प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। जातक ज्ञानी होगा, साथ ही अपने ज्ञान में वृद्धि करने की इच्छा होगी। जातक धार्मिक ग्रंथों में रुचि लेगा और उसकी वेद वेदांग और दूसरे शास्त्रों में उत्तम जानकारी होगी। जातक धार्मिक यात्राओं पर जाएगा और जातक धर्म-कर्म के कार्यों में सहायता भी करेगा।
6) एकादश भाव में स्थित गुरु जातक को उचित जीवनसाथी देता है। जातक का जीवन साथी का स्वभाव उत्तम और धार्मिक होगा। साथ ही सप्तम भाव पर गुरु की शुभ दृष्टि और तृतीय भाव पर गुरु की शुभ दृष्टि, जातक की कुंडली में मारक दोष का नाश करती है।
7) एकादश भाव में स्थित गुरु जातक को उत्तम मित्र मंडली में शामिल कराता है। जातक का अच्छा सामाजिक सर्किल होगा। जातक को अपनी मित्रों की और मित्र मंडली की सहायता प्राप्त होगी। जातक अपने गुरु का या अपने से उम्र दराज या अनुभवी व्यक्ति की सहायता प्राप्त करेगा।