कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र का प्रभाव
1)कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम हम प्रथम भाव और शुक्र के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) प्रथम भाव में स्थित शुक्र जातक को मध्यम कद के कारण हो सकता है। जातक आकर्षक व्यक्तित्व वाला और सुंदर चेहरे और नाक नक्श वाला व्यक्ति होगा। जातक की आंखों में एक मनमोहक आकर्षण होगा। जातक अपनी वास्तविक उम्र से कम उम्र का दिखेगा। जातक का शारीरिक कद काठी आकर्षक होगा।
3) प्रथम भाव में स्थित शुक्र के कारण जातक आकर्षक व्यक्तित्व का होता है और विपरीत लिंग के व्यक्ति स्वाभाविक रूप से जातक की ओर आकर्षित होते हैं। जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। यदि प्रथम भाव में स्थित शुक्र पीड़ित हो तब जातक हार्मोनल समस्या के कारण मानसिक रूप से पीड़ित होगा।
4) शुक्र एक नैसर्गिक शुभ ग्रह है अतः प्रथम भाव में स्थित पुत्र जातक को उत्तम स्वास्थ्य देता है। जातक दीर्घायु हो सकता है। शुक्र जलीय तत्व का ग्रह है, अतः जातक कफ से संबंधित समस्या से पीड़ित हो सकता है। कई बार जातक वात दोष से भी पीड़ित हो सकता है। जातक भावनात्मक रूप से सक्रिय होगा ।लेकिन वह भावना में बहकर कार्य नहीं करेगा। शुक्र से संबंधित भावना यानी प्यार, मोहब्बत, स्त्री के प्रति आकर्षण उसकी कमजोरी हो सकती है।
5) शुक्र को राजसी ग्रह माना जाता है, प्रथम भाव में स्थिति शुक्र के कारण जातक राजसी स्वभाव का होगा। जातक भौतिक और संसारिक सुख के प्रति आकर्षित होगा। लेकिन यदि अगर हम सिर्फ शुक्र की बात करें, तब शुक्र के राजसी प्रभाव के कारण जातक इन सुखों को प्राप्त करने के लिए गलत कदम नहीं उठाएगा। यानी जातक इच्छाएं अनंत होगी और वह उसको प्राप्त करना चाहेगा।
6) प्रथम भाव में स्थित शुक्र के कारण जातक उत्तम स्वभाव का व्यक्ति होगा। वह आनंददायक और उत्तम सामाजिक आचरण में विश्वास करने वाला व्यक्ति होगा। वह आरामदेह और सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहेगा। वह लग्जरियस लाइफस्टाइल की ओर आकर्षित होगा।
7) शुक्र को संगीत का कारक ग्रह माना जाता है। प्रथम भाव में स्थित शुक्र के कारण जातक संगीत प्रिय व्यक्ति होगा। जातक रोमांटिक स्वभाव का व्यक्ति होगा। जातक किसी भी विवाद को आपसी बातचीत से और अपने फायदे के लिए सलटाने में विश्वास रखता होगा।