कुंडली के छठे भाव में शुक्र का प्रभाव
1)कुंडली के छठे भाव में शुक्र का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम शुक्र और छठे भाव के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) काल पुरुष की कुंडली में छठा भाव कन्या राशि होता है और शुक्र कन्या राशि में नीच का होता है। अतः स्वाभाविक रूप से छठे भाव में स्थित शुक्र को शुभ नहीं माना जाएगा। छठा भाव उपचय भाव होता है, जिस ग्रह समय के साथ अपने नैसर्गिक गुणों में वृद्धि करते हैं।
3) छठा भाव शत्रु का भाव होता है। अतः जब शुक्र छठे भाव में हो जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करेगा। जातक अपने समझाने की कला और मैटर को अपने पक्ष में हैंडल करने की अद्भुत कला से युक्त होता है। यदि शुक्र छठे भाव में पीड़ित हो दूसरों के कारण जातक का धन का नाश होता है
4) छठा भाव रोग का कारक भाव होता है, यदि शुक्र छठे भाव में पीड़ित हो तो जातक को हार्मोनल समस्या हो सकती ह जातक को यौनांगों से संबंधित समस्या हो सकती है। शुक्र को नेत्र ज्योति का कारक ग्रह माना गया है। अतः छठे भाव में स्थित शुक्र जातक को नेत्र से संबंधित रोग दे सकता है। छठा भाव में स्थित शुक्र जातक को दांतो से संबंधित समस्या भी दे सकता है। शुक्र को वाहन का कारक ग्रह माना जाता है। यदि छठा भाव में स्थित शुक्र, राहु मंगल या केतु से पीड़ित हो तब जातक को वाहन से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। साधारणतः शुक्र कफ और वात से संबंधित समस्या देता है।
5) छठे भाव में स्थित शुक्र जातक के वैवाहिक जीवन में परेशानी दे सकता है। जातक अनैतिक संबंधों की ओर आकर्षित हो सकता है। जातक का मुख्य प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा।
6) छठा भाव में स्थित शुक्र जातक को अच्छी क्रिएटिव नॉलेज देता है। जातक मूवी, सिनेमा, एक्टिंग, ड्रामा, पोएट्री, गीत, संगीत नर्सिंंग इत्यादि प्रोफेशन में सफलता प्राप्त कर सकता है। शुक्र को वाहन का कारक ग्रह माना गया है। यदि छठा भाव में स्थित शुक्र दशम भाव से संबंध स्थापित करें तब जातक ट्रांसपोर्ट बिजनेस या वाहन से संबंधित सेक्टर में नौकरी कर सकता है। छठे भाव में स्थित शुक्र जातक को स्त्रियों की सहायता से सफलता दिलाता है।
7) छठा भाव में स्थित शुक्र जातक के अपनी पत्नी से संबंधों को खराब करता है। जातक की पत्नी की स्वास्थ्य अच्छी नहीं हो सकती है। जातक और पत्नी के बीच विवाद लड़ाई झगड़े और मतभेद हो सकते हैं। यदि छठा भाव में स्थित शुक्र शुभ स्थिति में ना हो और सप्तमेश भी पीड़ित हो तब तलाक की भी नौबत आ सकती है । जातक और जातक की पत्नी एक दूसरे से दूर रह सकते हैं।
8) छठे भाव में शुक्र जातक को कंजूस प्रवृत्ति का बनाता है। जातक कर्ज से परेशान रह सकता है। जातक की फाइनेंशियल स्थिति अच्छी नहीं हो सकती है। जातक अपने धन को स्त्री और अन्य बुरी संगत में खर्च कर सकता है। यदि शुक्र छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब जाकर दयालु और दान शील व्यक्ति होगा।