कुंडली के एकादश भाव में केतु का प्रभाव
1)कुंडली के एकादश भाव में केतु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम केतु और एकादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2)एकादश भाव एक उपचय भाव होता है। केतु एक पापी ग्रह है। ऐसी मान्यता है कि पापी ग्रह उपचय भाव में उत्तम फल देते हैं। एकादश भाव में केतु सांसारिक सुख सुविधा के लिए उत्तम माना जा सकता है। जातक उत्तम धन अर्जित करेगा, उत्तम संपत्ति अर्जित करेगा। उसकी आदत संपत्ति को जमा करने की होगी। जातक सट्टा या सट्टेबाजी जैसे शेयर मार्केट, लॉटरी, घुड़सवारी इत्यादि से धन अर्जित कर सकता है। केतु अध्यात्म का कारक है, एकादश भाव में केतु के कारण जातक अध्यात्म से जुड़े हुए कार्यों के द्वारा धन अर्जित कर सकता है जैसे तंत्र, मंत्र, धार्मिक प्रवचन इत्यादि से भी धन अर्जित कर सकता है।
3) एकादश भाव में स्थित केतु के कारण जातक उत्तम व्यवहार वाला व्यक्ति होता है। जातक दयालु हृदय का व्यक्ति होता है। जातक चतुर और अपने कार्य में कुशल होता है। जातक वाणी में उत्तम होता है। अपने उपरोक्त गुणों के कारण जातक अपने जीवन में उत्तम सफलता प्राप्त करता है।
4) एकादश भाव में स्थित केतु के कारण जातक अपने सारी इच्छाओं को पूर्ण करने में सक्षम होता है। जातक सभी प्रकार के सुख और सुविधा के साधन को प्राप्त करेगा। जातक विलासिता पूर्ण जीवन जीने का शौकीन होता है। जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। एकादश भाव में स्थित केतु को वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है। और यह वैवाहिक जीवन में परेशानी दे सकता है।
5) एकादश भाव में स्थित केतु जातक के संतान के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है। जातक को संतान उत्पत्ति में बाधा का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपनी संतान से अलगाव या मतभेद का भी सामना कर सकता है। यदि एकादश भाव में स्थित केतु शुभ स्थिति में ना हो तब जातक की संतान की मृत्यु की भी संभावना बनती है। परंतु एकादश भाव में स्थित केतु जातक के बच्चों को चतुर और स्मार्ट बनाता है।
6)एकादश भाव में स्थित केतू जातक को पेट से संबंधित समस्या भी दे सकता है। एकादश भाव में स्थिति के कारण जातक मानसिक समस्या से भी पीड़ित रह सकता है।
7) एकादश भाव अग्रज या बड़े भाई का कारक भाव होता है। एकादश भाव में स्थित केतु के कारण जातक के अपने अग्रज या बड़े भाइयों के साथ उत्तम संबंध नहीं हो सकते है। जातक अपने बड़े भाई से अलग रह सकता है।
8) एकादश भाव में स्थित केतु जातक को उत्तम नाम और प्रसिद्धि देता है। जातक का समाज या सोसाइटी में आदरणीय व्यक्ति की इमेज होगी।