कुंडली के चतुर्थ भाव में लग्नेश का प्रभाव
1)कुंडली के चतुर्थ भाव में लग्नेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम प्रथम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।
2)चतुर्थ भाव जातक के सुख का कारक भाव होता है। जब लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक को सारी प्रकार की सुख सुविधाएं प्राप्त होती है। जातक सांसारिक सुख के मामले में भाग्यशाली होता है। लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित होने के कारण जातक सारे प्रकार की सुख सुविधा अपने मेहनत के बदौलत हासिल हासिल करता है। जातक के पास उत्तम घर, उत्तम वाहन, नौकर चाकर का सुख होगा। जातक धनी और समृद्ध व्यक्ति होगा।
3) चतुर्थ भाव माता का भाव होता है। जब लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक को अपनी माता का सुख प्राप्त होता है। जातक और उसकी माता के मध्य अच्छे संबंध होंगे। जातक अपनी माता की या मातृ कुल उनकी संपत्ति प्राप्त करता है। यदि लग्नेश चतुर्थ भाव में नैसर्गिक पापी ग्रह से पीड़ित तब यह जातक के माता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या दे सकता है।
4) चतुर्थ भाव मित्रता का कारक भाव होता है। यदि लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक को उत्तम मित्र की प्राप्ति होती है। जातक के मित्र संस्कारी और विद्वान व्यक्ति हो सकते हैं। जातक अपने मित्रों और रिश्तेदारों की सहायता प्राप्त करता है तथा जातक अपने मित्रों और रिश्तेदारों के मध्य आदर प्राप्त करता है।
5) लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित हो तो जातक के संस्कार उत्तम होते हैं। जातक आचरण उत्तम होता है। जातक चतुर और तीक्ष्ण बुद्धि का व्यक्ति होता है। जातक की शारीरिक बनावट उत्तम होती है। जातक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होता है।
6) लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक में नेतृत्व की नैसर्गिक क्षमता होती है। जातक जनता को आकर्षित करने में सक्षम होता है। जातक राजनीति की ओर आकर्षित होता है। जातक लोगों के मध्य पॉपुलर हो सकता है।
7) चतुर्थ भाव में स्थित लग्नेश दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है, अत: जातक को सरकार या गवर्नमेंट से फायदा हो सकता है। जातक को सरकार का फेवर प्राप्त होगा।
8) चतुर्थ भाव में स्थित लग्नेश के कारण जातक अपने परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में अच्छी सफलता प्राप्त करता है। जातक अपने परिवार के मध्य एक सम्मानित व्यक्ति होता है। जातक के अपने बंधु बांधव का उत्तम सुख प्राप्त होगा और जातक के परिवार में सदस्यों की संख्या उत्तम होगी।
9) चतुर्थ भाव जातक की शिक्षा से संबंधित होता है। लग्नेश के चतुर्थ भाव में स्थित होने के कारण जातक उत्तम शिक्षा प्राप्त करता है। जातक विद्वान हो सकता है। जातक अपने शिक्षा की बदौलत कमाई करने में सक्षम होता है।
10)लग्नेश चतुर्थ भाव में सूर्य के साथ हो, तब जातक को प्रशासन से समस्या का सामना करना पड़ता है। जातक के अपने बॉस के साथ संबंध अच्छे नहीं होते हैं। जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
11)लग्नेश चतुर्थ भाव में चंद्रमा के साथ हो तब, जातक को अपनी माता के साथ समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक कला के प्रति झुकाव रखने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक पब्लिक के मध्य पॉपुलर व्यक्ति होगा।
12)लग्नेश चतुर्थ भाव में मंगल के साथ हो तब जातक अपनी संपत्ति का सुख नहीं प्राप्त कर सकता है। जातक अकूत संपत्ति अर्जित करेगा। जातक को सुख में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
13)लग्नेश चतुर्थ भाव में बुध के साथ हो तब जातक को उत्तम शिक्षा प्राप्त होती है। जातक चतुर होता है और जातक को उत्तम सुख की प्राप्ति होती है। जातक ट्रिक्स और टेक्निक में एक्सपर्ट होता है। जातक एक अच्छा वैज्ञानिक या गणितज्ञ हो सकता है।
14)लग्नेश चतुर्थ भाव में गुरु के साथ हो तब जातक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। जातक आकर्षक व्यक्तित्व और शरीर का मालिक होता है। ज्यादा के धार्मिक व्यक्ति होता है।
15)लग्नेश चतुर्थ भाव में शुक्र के साथ हो तब जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं। जातक दिखावा करने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक लग्जरियस और ग्लैमर से युक्त जीवन शैली रखने में विश्वास रखता होगा।
16)लग्नेश चतुर्थ भाव में शनि के साथ हो तब जातक कड़ी मेहनत करने वाला व्यक्ति होगा। जातक को नौकर चाकर का सुख प्राप्त होगा। जातक एक अच्छा राजनीतिज्ञ हो सकता है। जातक जनता को आकर्षित करने में सक्षम होगा। जातक कपटी स्वभाव का हो सकता है। जातक को वाहन का सुख प्राप्त होगा।
17)चतुर्थ भाव में स्थित लग्नेश यदि राहु के साथ युति बनाएं तब जातक झूठा व्यक्ति होगा। जातक मानसिक रूप से अस्थिर या अशांत चित वाला हो सकता है।
18)चतुर्थ भाव में स्थित लग्नेश यदि केतु के साथ संबंध बनाए तबब जातक आरामदेय जीवन व्यतीत नहीं करेगा। जातक का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होगा और जातक मानसिक रूप से अशांत होगा।