कुंडली के दशम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव
1) कुंडली के दशम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम द्वितीय भाव और दशम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। द्वितीयेश स्वंय के भाव से नवम भाव में स्थित है अतः हम प्रथम भाव के स्वामी का नवम भाव में क्या प्रभाव होता है, इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) द्वितीय भाव धन का भाव होता है, दशम भाव कर्म का भाव होता है। यदि द्वितीयेश दशम भाव में स्थित हो तब जातक अपने कर्मों की बदौलत धन अर्जित करेगा या हम कह सकते हैं कि जातक अपने मेहनत और मेहनत की बदौलत धनी बनने में सक्षम होगा। जातक अपने जीवन में उत्तम सफलता प्राप्त करेगा। जातक अपने उद्यम में सफलता प्राप्त करेगा।
3) दशम भाव पिता के धन का भाव भी होता है अतः द्वितीयेश दशम भाव में स्थित हो तब जातक को अपने पिता की संपत्ति प्राप्त होती है। जातक अपने पिता की सहायता से धन अर्जित करता है।
4) दशम भाव जातक सामाजिक प्रतिष्ठा के बारे में बताता है। यदि द्वितीयेश दशम भाव में स्थित हो तब जातक समाज में धनी व्यक्ति के रूप में जाना जा सकता है। जातक को समाज में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। जातक का परिवार प्रतिष्ठित परिवार हो सकता है।
5) द्वितीयेश दशम भाव में स्थित तब जातक को अपने परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, क्योंकि दशम भाव कर्म का भाव है और द्वितीय भाव परिवार का भाव है। अर्थात जातक को अपने परिवार के लिए कर्म करना पड़ता है। दशम भाव में स्थित द्वितीयेश के कारण जातक अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते मानसिक तनाव से भी गुजरता है। इसका एक अर्थ यह भी हो सकता है कि, जातक अपने बचपन से ही धन कमाना अर्जित करना स्टार्ट कर सकता है।
6) द्वितीय भाव वाणी का भाव होता है। दशम भाव जातक को यथार्थवादी विचारों वाला व्यक्ति बनाता है। जातक दार्शनिक स्वाभव व्यक्ति हो सकता है। जातक अपनी वाणी का इस्तेमाल कर धन अर्जित कर सकता है। जातक के वचन का उसके प्रोफेशनल लाइफ में एक अच्छी साख होगी।
7) दशम भाव राज्य का भाव होता है। द्वितीय भाव धन का भाव होता है। धन के भाव का स्वामी राज्य भाव में हो तब, जातक को राज्य से धन प्राप्ति की संभावना बनती है। अर्थात हम कर सकते हैं कि जातक सरकार की मदद से, प्रशासन की मदद से, अथॉरिटी की मदद से या राजा के समान प्रसिद्ध व्यक्ति की मदद से धन अर्जित कर सकता है। जातक सरकारी संस्था में कार्य कर सकता है या जातक प्रशासनिक पद पर हो सकता है।
8) द्वितीयेश दशम भाव में स्थित हो तब जातक स्वयं के कार्य में रूचि लेने वाला व्यक्ति हो सकता है। अर्थात् जातक खुद का व्यापार या बिजनेस या काम करने का इच्छुक हो सकता है। जातक के अनेक आय के स्रोत हो सकते हैं।
9) द्वितीय भाव मारक का स्थान होता है। यदि इसी कंसेप्ट को हम आगे लेकर चलें तब नवम भाव पिता का भाव होता है, नवम भाव से द्वितीय दशम भाव पिता के लिए मारक भाव हो सकता है, साथ ही द्वितीय भाव दशम भाव से छठा होता है। अर्थ है कि द्वितीयेश यदि दशम भाव में पीड़ित हो तब जातक के पिता के लिए यह मारक हो सकता है। अतः हम कह सकते हैं कि पीड़ित द्वितीयेश दशम भाव में जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या या मृत्यु तुल्य कष्ट देने में सक्षम होता है।
10) द्वितीयेश दशम भाव में स्थित होकर यदि छठे भाव के स्वामी से संबंध स्थापित करें तब जातक सरकारी प्रतियोगिता परीक्षा या किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त कर सकता है। जातक नौकरी या जॉब आसानी से प्राप्त कर लेता है।
11)यदि द्वितीय भाव का स्वामी दशम भाव में दशम भाव के स्वामी के साथ स्थित हो तब यह एक अच्छा धन योग बनाता है। जातक अपने प्रोफेशन से अच्छा धन अर्जित करता है। जातक अपने जीवन में बुलंदियों को छूता है। जातक की प्रसिद्धि अच्छी होती है। जातक पैतृक संपत्ति प्राप्त करता है। जातक की पारिवारिक प्रतिष्ठा भी अच्छी होती है।