कुंडली के सप्तम भाव में तृतीयेश का प्रभाव

कुंडली के सप्तम भाव में तृतीयेश का प्रभाव

1)कुंडली के सप्तम भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम तृतीय भाव और सप्तम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का पंचम भाव में क्या फल होता है हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) सप्तम भाव काम त्रिकोण होता है, तृतीय भाव भी काम त्रिकोण भाव है। अतः जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक का कैरेक्टर ढीला हो सकता है।

3) सप्तम भाव जन्म स्थान से दुर का स्थान है। तृतीय भाव मातृभूमि से दूर के स्थान को बताता है। साथ ही सप्तम भाव और तृतीय भाव दोनों यात्रा का भाव है। अतः तृतीय भाव का स्वामी सप्तम भाव में स्थित हो, तब जातक अपने जन्म स्थान से दूर की यात्रा करता है। जातक के विदेश यात्रा या विदेश में निवास की भी संभावना बनती है। यदि तृतीयेश सप्तम भाव में अपने शत्रु राशि में स्थित हों तब विदेश में जाने के ज्यादा संभावना बनते हैं। यदि नवम भाव और द्वादश भाव का स्वामी, सप्तम भाव में तृतीय भाव के साथ संबंध स्थापित करें तब जातक विदेश में सेटल हो सकता है।

4) तृतीय भाव का स्वामी सप्तम भाव में स्थित हो तब जातक की एक से अधिक विवाह या एक से ज्यादा रिलेशनशिप की संभावना बनती है।

5) सप्तम भाव दशम भाव का भावत भावम भाव है। तृतीय भाव दशम भाव से छठा भाव है। तृतीय भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक के प्रोफेशनल लाइफ में परेशानी हो सकती है। तृतीय भाव स्वयं की क्षमता से संबंधित होता है। सप्तम भाव दूसरों व्यक्ति से संबंधित होता है। यदि इस प्रकार से हम सोचते हैं, तब हम कह सकते हैं कि जातक की मेहनत का फायदा अन्य व्यक्ति उठाएगा। जातक पार्टनरशिप बिजनेस में सफलता प्राप्त करेगा। जातक विदेश में सफलता प्राप्त करेंगा।

6) सप्तम भाव मारक भाव होता है। तृतीय स्थान आयु से संबंधित होता है। सप्तम भाव में स्थित तृतीयेश जातक के लिए मारक साबित हो सकता है। जातक तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्या से पीड़ित रह सकता है। जातक स्पाइनल कोर्ड, पीठ दर्द, कमर दर्द, अर्थराइटिस इत्यादि बीमारियों से पीड़ित तरह सकता है। जातक वाहन दुर्घटना का भी सामना कर सकता है। जातक का स्वास्थ्य व्यवस्था में उत्तम नहीं हो सकता है।

7) तृतीय भाव छोटे भाई बहन से संबंधित होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी सप्तम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक के भाई अपने जीवन में उत्तम सफलता प्राप्त करते हैं। जातक के भाई जातक से दूर किसी स्थान पर निवास कर सकते हैं।

8) तृतीय भाव का स्वामी सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में स्थित हो तब जातक के विदेश यात्रा के योग बनते हैं। जातक अपना व्यापार या प्रोफेशन के लिए विदेश में निवास कर सकता है। जातक विवाह के उपरांत भाग्यशाली हो सकता है। जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। जातक को स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो सकती है। यदि यह कंबीनेशन पीड़ित हो तब यह एक स्ट्रांग मारक बन सकता है।

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