कुंडली के छठे भाव में चतुर्थेश का प्रभाव
1)कुंडली के छठे भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से तृतीय स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का तृतीय भाव में क्या फल होता है हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) चतुर्थ भाव सुख का भाव होता है। छठा भाव जीवन में आने वाली बाधाओं का कारक होता है। यदि चौथे भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को अपने जीवन में आसानी से सुख प्राप्त नहीं होता है। जातक अपने जीवन में कई प्रकार के संघर्षों का सामना करता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो और बली हो तब जातक में नैसर्गिक क्षमता होती है कि वह जीवन में आने वाले संघर्षों का सामना कर सके और उस पर विजय प्राप्त कर सके। साधारणतया हम कह सकते हैं कि शत्रु जातक के जीवन में परेशानी खड़ी करते हैं।
3) चतुर्थ भाव मन का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक के मन में भय व्याप्त रह सकता है। जातक अस्थिर मन वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक मानसिक तनाव का सामना कर सकते हैं। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में बलि हो और सुनिश्चित हो तब जातक मानसिक रूप से बली होता है और उसकी मानसिक क्षमता बहुत ज्यादा होती है।
4) चतुर्थ भाव माता का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब यह माता के स्वास्थ्य के लिए और आयु के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। यदि कारक चंद्रमा चतुर्थ भाव और चतुर्थ भाव का स्वामी उत्तम स्थिति में हो तब बुरे प्रभाव कम होंगे।
5) चतुर्थ भाव प्रॉपर्टी से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को प्रॉपर्टी से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। छठे भाव लीगल समस्या या विवाद का भी कारण होता है। चौथे भाव का स्वामी छठे में स्थित हो तब जातक लीगल समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक के प्रोप्रटी में विवाद या झगड़ा भी हो सकता है।
6) चतुर्थ भाव वाहन से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को वाहन से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक के वाहन दुर्घटना की भी संभावना बनती है। जातक अपने वाहन को लोन पर ले सकता है।
7) छठा भाव कर्ज से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक कर्ज लेकर अपने सुख साधन की सुविधा की जुगाड़ कर सकता है। जातक हाउस लोन व्हीकल लोन या दूसरे लोन अपने सुख-सुविधा के साधन को जुगाड़ करने के लिए ले सकता है।
8) चौथा भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक के बहुत सारे अनैतिक इच्छाएं होते हैं। जातक दिखावा करने में विश्वास रखता होगा। जातक हमेशा अपनी वास्तविक छवि को लोगों से छुपा कर रखता है। जातक शैतानी दिमाग वाला हो सकता है।
9) चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तो जातक के बहुत सारे यात्राएं हो सकते हैं। जातक को अपनी मातृभूमि का सुख नहीं प्राप्त हो पाता है।
10) चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को अपने शिक्षा से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। छठा भाव कानून से संबंधित होता है। छठे भाव में स्थित चतुर्थ भाव के स्वामी के कारण, जातक कानून से संबंधित पढ़ाई कर सकता है। छठा भाव रोग से संबंधित होता है, अतः छठे भाव में स्थित चतुर्थ भाव के स्वामी के कारण जातक मेडिकल स्ट्रीम में भी पढ़ाई कर सकता है।
11) चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव के स्वामी के साथ छठे भाव में स्थित हो तब यह जातक के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है। जातक को अपने सुख-सुविधा के साधन के लिए तरह तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक का जीवन संघर्ष पूर्ण हो सकता है। जातक कर्ज से परेशान रह सकता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब तक नैसर्गिक रूप से बली होता है और जातक को अपने शत्रु से विजय प्राप्त होती है। जातक ज्ञानी हो सकता है।