कुंडली के द्वादश भाव में पंचमेश का प्रभाव
1)कुंडली के द्वादश भाव में पंचमेश का प्रभाव जानने से पहले हम द्वादश भाव और पंचम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। पंचम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम स्थान में स्थित है, अतः हम प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में क्या फल होता है, इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) पंचम भाव महत्वपूर्ण धर्म त्रिकोण स्थान है। द्वादश भाव एक मोक्ष स्थान है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधारा वाला व्यक्ति होता है। जातक जीवन के सत्य को ढूंढने का प्रयास करता रहता है। जातक का आध्यात्म की ओर अत्यधिक झुकाव हो सकता है। जातक धीरे-धीरे सांसारिक मोह माया से दूर जाने का प्रयास करता है।
3) पंचम भाव बुद्धि का कारक स्थान होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश स्थान में स्थित तो तब जातक अपनी बुद्धिमता व्यय कर देता है अर्थात् जातक अपने बुद्धि को बेवजह के कार्यो में इस्तेमाल करता है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में सुस्थित हो तब जातक बुद्धिमान होता है और अपने बुद्धि और विवेक के बल पर संसार में अपनी एक अलग पहचान स्थापित करता है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में पीड़ित हो तब जातक के बुद्धि का नाश हो जाता है या जातक अपनी बुद्धि का गलत कार्यों में इस्तेमाल करता है।
4) पंचम भाव मानसिकता का कारक भाव है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों वाला व्यक्ति होता है। जातक भावनात्मक विचारों वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक लव और रिलेशनशिप में परेशानी का सामना कर सकता है। जातक बहुत ज्यादा कल्पनाशील होता है।
5) पंचम भाव संतान से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब सामान्यतः यह शुभ नहीं माना जाता है। जातक को संतान उत्पत्ति में समस्या हो सकती है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब या संतान की संभावना को क्षीण करता है या जातक की संतान की मृत्यु की संभावना या अलगाव की संभावना बनाता है। यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक की संतान जातक से दूर किसी स्थान पर निवास कर सकते हैं।
6) पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक मानसिक शांति के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करता रह सकता है। यदि चार्ट में दूसरे योग्य योग हो तब जातक मोक्ष प्राप्ति कर सकता है।
7) पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक गलतफहमी का शिकार हो सकता है। जातक चीजों को आसानी से नहीं समझ पाता है। साथ ही यह जातक के निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर देता है। कभी-कभी ऐसे केस में जातक को सट्टेबाजी से नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है।
8)पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में हो तब जातक पेट के रोगों से परेशान रह सकता है। जातक को आंतों में समस्या हो सकती है। जातक के मानसिक तनाव से ग्रसित रहने की संभावना बनती है।
9)पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव के स्वामी के साथ द्वादश स्थान में स्थित हो तब जातक मानसिक तनाव से ग्रसित रह सकता है। यदि शुभ स्थिति में हो तब जातक एक महान आध्यात्मिक और धार्मिक व्यक्ति हो सकता है। जातक बहुत ही बुद्धिमान होगा और अपने धन को वास्तविक कारण के कारण ही व्यय करेगा। यदि पीड़ित हो तब जातक और संतान के मध्य समस्या हो सकती हैं। जातक को संतान होने में समस्या हो सकती है। जातक चीजों को आसानी से नहीं समझ पाता है और गलतफहमी का शिकार रहता है। जातक में कल्पनाशीलता अच्छी होती है, जिसके कारण जातक में नैसर्गिक रूप से कलाकार वाले गुण होते हैं।