कुंडली के चतुर्थ भाव में षष्ठेश का प्रभाव
1)कुंडली के चतुर्थ भाव में षष्ठेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। छठे भाव का स्वामी स्वयं के भाव से एकादश स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का एकादश भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
2) चतुर्थ भाव छठे भाव से एकादश स्थान है, यानी चतुर्थ भाव छठे भाव के लिए लाभ स्थान है। यदि छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब छठे भाव के कारकत्व में वृद्धि होती है। साधारण परिस्थिति में छठे भाव का स्वामी का बली होना शुभ नहीं माना जा सकता है। बली षष्ठेश चतुर्थ भाव में जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार के परिस्थिति और कठिनाई लेकर आता है।
3) छठा भाव संघर्ष और परेशानियों का कारक होता है। चतुर्थ भाव एजुकेशन से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक अपने पढ़ाई में परेशानी का सामना करता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक लाॅ या मेडिकल से संबंधित पढ़ाई करता है।
4) षष्ठम भाव शत्रु का भाव होता है। चतुर्थ भाव सुख का भाव होता है। यदि छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक अपने शत्रु के कारण अपना सुख और चयन खो देता है। जातक के मन में शत्रु भय उत्पन्न करते हैं। जातक को मानसिक अशांति होती है। जातक के मन में तरह तरह के ख्याल और विचार आते रहते हैं। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक के मन में उपयोगी और सुंदर विचार उत्पन्न होते हैं। लेकिन यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में पीड़ित हो तब जातक का मन नकारात्मक विचारों से भरा होता है। जातक का मन अशांत होता है। इस केस में जातक को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। जातक को ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक को हृदय रोग या फेफड़ों से संबंधित समस्या हो सकती है।
5) चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है। छठा भाव दु:स्थान होता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो, तब जातक के माता को स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो सकती है। जातक की माता पारिवारिक विवाद का सामना कर सकती है। जातक का माता स्वभाव से स्वभाव से बहादुर और तार्किक प्रवृत्ति की हो सकती है। जातक का माता का अपने भाई से विवाद हो सकता है। जातक और जातक की माता के मध्य मतभेद हो सकते हैं। जातक अपनी माता से अलग रह सकता है।
6) छठा भाव मामा से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव सुख से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक को अपने मामा से सुख प्राप्त होता है। जातक के मामा के पास खेती की अच्छी खासी जमीन हो सकती है।
7) चतुर्थ भाव रियल स्टेट या प्रॉपर्टी से संबंधित होता है। छठा भाव विवाद से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक को अपनी प्रॉपर्टी में विवाद का सामना करना पड़ सकता है। जातक को डोमेस्टिक या घरेलू सुख नहीं होता है। जातक अपनी पैतृक संपत्ति में भी कानूनी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक हाउस लोन से घर ले सकता है। यदि छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव बली और शुभ स्थिति में हो तब जातक को रहने के लिए बहुत ही अच्छा और सुंदर घर होता है।
8) चतुर्थ भाव वाहन से संबंधित होता है। छठा भाव दुर्घटना, लीगल प्रॉब्लम या विवाद से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक वाहन दुर्घटना या वाहन से संबंधित लीगल समस्या या विवाद का सामना कर सकता है।
9) छठा भाव कर्ज से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक कर्ज के कारण मानसिक तनाव का सामना कर सकता है।
10) चतुर्थ भाव जातक के पिता की आयु से संबंधित होता है। यदि छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। साथ ही यह जातक के पिता की आयु के लिए भी अच्छा नहीं माना जाता है।
11) छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक के अपने नौकरों या इंप्लाइज से विवाद हो सकते हैं। यदि छठा भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक विपरीत लिंगी के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करेगा।
12)यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव के स्वामी के साथ चौथे भाव में स्थित हो तब जातक के लिए किसी भी सबसे शुभ नहीं माना जा सकता है। जातक की माता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक के परिवार में कलह या विवाद हो सकता है। जातक को अपने पैतृक संपत्ति को प्राप्त करने के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपने पढ़ाई में परेशानी का सामना कर सकता है। जातक मानसिक तनाव का सामना करेगा। जातक के घरेलू सुख शांति में कमी होगी। जातक को वाहन दुर्घटना की भी संभावना होती है।