कर्क राशी

कर्क राशी 1) कालपुरुष की चतुर्थ प्राकृतिक राशि 2) राशी स्वामी  – चंद्रमा 3) नक्षत्र – पुनर्वसु अंतिम पद (4th पैड), पुष्य का  संपूर्ण 4पद , अश्लेषा की संपूर्ण 4पद 4) प्रकृति- चर 5) तत्व – जलीय राशि 6) दिशा- उत्तर 7) स्थान – तालाब,कूप, नदियों, रेस्तरां, 8) उदय विधि – पृष्ठोदय 9) दोष -कफ […]

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मिथुन राशी

           मिथुन राशी 1) कालपुरुष की तृतीय प्राकृतिक राशि और इसका प्रतीक युग्म महिला और पुरुष है। 2)राशी स्वामी – बुध 3) नक्षत्र – मृगशिरा अंतिम 2पद , आद्रा संपूर्ण 4 पद, पुनर्वसु प्रथम 3 पद 4) स्वाभव- द्वि स्वाभव 5) तत्व – वायु(समीर) तत्व 6) दिशा- पश्चिम 7) स्थान – गाँव, बेडरूम, मनोरंजक स्थान, 

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वृष राशी

वृष राशी 1) कालपुरुष की द्वितीय राशि 2) प्रतीक- बैल 3) राशी स्वामी – शुक्र 4) नक्षत्र – कृतिका अंतिम 3पद , रोहिनी समस्त 4पद , मृगशिरी प्रथम 2पद 5) दिशा – दक्षिण 6) प्रकृति – स्थिर 7) तत्व – क्षिति(भू तत्व) 8) स्थान– फील्ड, घास का मैदान, कृषि के मैदान(खेत) जो जलयुक्त हो ,

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मेष राशी

         मेष राशी 1) कालपुरुष की प्रथम राशि मेष राशी 2)राशी स्वामी – मंगल ग्रह 3) नक्षत्र — अश्विनी 4पद, भरनी 4पद, कृतिका 1पद 4) सूर्य की उच्च राशी और शनि की नीच राशी 5) मंगल ग्रह की मूलत्रिकोना राशि 6) दिशा – पूर्व 7) प्रकृति – चर राशी 8) तत्व – अग्नि तत्व 9)

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ग्रहो की नीच राशी

1) सुर्य तुला राशी मे नीच के होते है। नीचतम डिग्री 10 डिग्री तुला राशि मे होेता है जो राहु द्वारा शासित स्वाति नक्षत्र (जिसके देवता वायु देव है)के अंतर्गत आता है । 2) चंद्रमा  वृश्चिक राशी मे नीच के होते है। नीचतम डिग्री 3डिग्री वृश्चिक राशी है। जो ​​बृहस्पति ग्रह के बल द्वारा शासित

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ग्रहों की उच्च राशी

1)सूर्य मेष राशि मे उच्च के होते है और उच्चतम डिग्री 10 डिग्री है, जो अश्विनी नक्षत्र में होता है। 2)चंद्रमा वृष में राशि मे उच्च के होते है और उच्चतम डिग्री 3 डिग्री है जो कृतिका नक्षत्र में होता है। 3)मंगल मकर राशी में उच्च के होते है औंर उच्चतम डिग्री 28 डिग्री है,

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केतु देव आध्यात्मिकता के कारक

केतु देव 1) स्थिति – असुर 2) दृष्टि – खुद की स्थिति से 5 वीं और 9 वीं भाव, और राशी दृष्टि 3) किसी भी राशि का स्वामी  नहीं  है। लेकिन वह खुद की दशा के दौरान भाव जहां बैठते  हैं, उस भाव के स्वामी की तरह व्यवहार करते हैं। 4) उच्च राशी – धनु

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राहु देव कल्पना लोक के स्वामी

               राहु देव 1) स्थिति -असुर 2)राशी स्वामी- किसी भी राशि का स्वामी नही है।लेकिन वह खुद की दशा मे भाव स्वामी की तरह व्यवहार करता है। राहु को छद्म ग्रह माना जाता है। 3)दृष्टि – 5th और 9th भाव स्वयं से 4) उच्च राशी – वृष  राशि (या मिथुन राशी) 5) नीच राशी –

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शनि देव दुर्भाग्य के स्वामी

           शनि देव 1) ग्रहो के राजदरबार मे स्थान – कर्मचारी, शनि  हमारे कर्मो का न्यायधिश हैं । 2) ऱाशीआधिपत्य -मकर  और कुंभ राशि 3)दृष्टि- स्वयं से  7वां औंर स्वयं से 3rd औंर 10th भाव 4) उच्च राशी – तुला (तुला) राशि तथा उच्चतम डिग्री 20 डिग्री 5) नीच राशी – मेष  राशि और नीचतम

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शुक्र ग्रह कलियुगी धन के स्वामी

शुक्र 1) स्थिति – सलाहकार (आनंद और प्रमोद) 2) राशि स्वामी -वृष और तुला 3)दृष्टि – स्वयं से सातवे भाव पर 4) उच्च राशी – मीन राशी , उच्चतम डिग्री 27 डिग्री @मीन राशि 5) नीच राशी – कन्या राशी , नीचतम डिग्री  27 डिग्री @कन्या राशी 6) मूलत्रिकोना राशी – 0 से 15 डिग्री

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